Friday, 18 April 2025

कलयुग में नारायणी सेना की वापसी संभव है ? The Untold Story of Krishna’s ...

क्या महाभारत युद्ध में नारायणी सेना का अंत हो गया...?

या फिर आज भी वो कहीं अस्तित्व में है...?

नारायणी सेना वो सेना जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने प्रशिक्षित किया था...

जिसके योद्धा सिर्फ ग्वाल यादव नहीं, बल्कि रणभूमि के महारथी थे।

जिन्होंने कलारिपयट्टू जैसी प्राचीन मार्शल आर्ट में महारत हासिल की थी...

और कहते हैं, ये सेना कभी कोई युद्ध हारी नहीं...

लेकिन... जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ, तो ये अपराजेय सेना अचानक ग़ायब हो गई।

इतिहास के पन्नों से... किसी रहस्य की तरह मिटा दी गई...

क्या युद्ध में इनका नाश हुआ...? या कोई गहरा षड्यंत्र था...?

क्या कलियुग में इनकी वापसी होगी...?

तो बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि

आज के इस वीडियो में हम उठाने जा रहे हैं पर्दा नारायणी सेना के उस रहस्य से...

जो हज़ारों सालों से छुपा हुआ है!"

 

जब धर्म और अधर्म आमने-सामने खड़े थे, तब एक शांत कमरे में, तीन महायोद्धा आमने-

सामने बैठे थे श्रीकृष्ण, अर्जुन और दुर्योधन। महाभारत युद्ध की गंध चारों ओर फैल चुकी थी। 

दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही श्रीकृष्ण से मदद मांगने द्वारका पहुँचे थे।

कृष्ण विश्राम कर रहे थेऔर जब आँख खुलीउन्होंने एक ओर अर्जुन को पैरों की ओर बैठा पाया, और दूसरी ओर दुर्योधन को सिरहाने खड़ा। कृष्ण मुस्कराए, और बोले

"मैं दोनों की बात सुनूंगा, लेकिन एक ही सहायता दूंगा। मेरे पास दो चीज़ें हैं:

एक, मैं स्वयं, लेकिन युद्ध में शस्त्र नहीं उठाऊंगा।

दूसरी, मेरी नारायणी सेना, जो अजेय और अपराजेय है।

तुम दोनों में से पहले अर्जुन को चुनने का अधिकार है, क्योंकि वो पहले आया।" दुर्योधन का दिल 

धड़कने लगा। उसे विश्वास था कि अर्जुन सेना चुनेगा, और वह खुद कृष्ण को ले जाएगा। लेकिन… 

अर्जुन ने सिर्फ मुस्कराकर कहा:

"हे माधव, मुझे सिर्फ आप चाहिएँ। आपकी उपस्थिति ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है।"

दुर्योधन भीतर ही भीतर हँस पड़ा उसे नारायणी सेना मिल गई थी!

उसे लगा, उसने युद्ध जीत लियापर यही था कृष्ण की लीला। कृष्ण ने अर्जुन के रथ की बागडोर 

थामी और इतिहास ने देखा जहाँ कृष्ण होते हैं, वहीं विजय होती है।

और दुर्योधन को मिली वो नारायणी सेना, जो अंत में भी धर्म के विरुद्ध कुछ न कर सकी

क्या आपने कभी सोचा है

इतिहास की सबसे शक्तिशाली सेना, जो अजेय थी, जिसे देखकर राजाओं के दिल कांप उठते थे

नारायणी सेना, जो भगवान श्रीकृष्ण की थी आख़िर महाभारत युद्ध के बाद अचानक कहाँ 

गायब हो गई? महाभारत में वर्णन है ये कोई आम योद्धा नहीं थे।

ये थे आभीर वंश के अद्वितीय वीर, जिन्हें नारायण गोप भी कहा जाता है।

कृष्ण की यही सेना थी, जिसने पूरे भारत में यादव साम्राज्य की सीमा फैलाई।

इसमें कृष्ण के 18,000 भाई और चचेरे भाई शामिल थे 7 अतिरथ… 7 महारथ

और हर योद्धा अकेले एक सेना पर भारी। पर युद्ध के बाद... ना कोई शव मिला, ना कोई विजेता 

लौटा। कहते हैं ये अपराजेय सेना पाताल लोक चली गई। क्यों? कैसे? और सबसे बड़ा सवाल 

क्या वे वापस लौटेंगे? पुराणों में एक रहस्यमयी भविष्यवाणी है

जब कलियुग अपने चरम पर होगा, जब अधर्म की अंधेरी रात सबसे गहरी होगी,

तब विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि का आगमन होगा और ठीक उसी वक्त

नारायणी सेना लौटेगी! हाँ, वही सेना जो हजारों सालों से अदृश्य है

वही वीर, जो श्रीकृष्ण की आज्ञा से सो गए हैं समय के गर्भ मेंफिर से उठेंगे

और धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

 क्या कलियुग में नारायणी सेना की वापसी होगी?

क्या कल्कि अवतार के साथ फिर एक बार धर्म की स्थापना होगी?"

"इस रहस्य पर आपकी क्या राय है?

कमेंट में जरूर बताएं और वीडियो को शेयर करें,




Tuesday, 1 April 2025

हनुमान और परशुराम का महाप्रलयंकारी युद्ध | Hanuman vs Parshuram Yudh

हनुमान और पारसुरम जी युद्ध

कल्पना कीजिए... एक ऐसा युद्ध, जहां दो अमर योद्धा आमने-सामने खड़े हैं।

एक तरफ परशुराम जीभगवान विष्णु के छठे अवतार, जिनके क्रोध से धरती के सबसे बड़े योद्धा तक कांप उठते थे।"

"और दूसरी तरफपवनपुत्र हनुमान, जिनकी शक्ति का कोई पार नहींजिनकी भक्ति से स्वयं भगवान राम भी प्रसन्न होते हैं।"

"लेकिन सोचिएजब ये दो दिव्य शक्तियाँ आमने-सामने आईं, तो क्या हुआ होगा?"

"क्या हुआ ऐसा, जिसने परशुराम जैसे तपस्वी को क्रोधित कर दिया?"

"और हनुमान जीजिनकी विनम्रता के आगे बड़े-बड़े ऋषि भी नतमस्तक होते थेआखिर क्यों उन्होंने भी युद्ध का प्रण ले लिया?"

"लेकिन क्या ये केवल एक साधारण युद्ध था? या फिर इसके पीछे छुपा था एक ऐसा रहस्य, जो सदियों तक लोगों से छिपा रहा?"

"इस टकराव की सच्चाई जानेंगे तोआपकी सोच ही बदल जाएगी!

 

त्रेतायुग का समय था। धरती पर एक अत्याचारी था सहस्त्रार्जुन। उसके आतंक से पूरी पृथ्वी थर्रा उठी थी। अहंकार इतना कि वह ऋषियों तक को नहीं छोड़ता। एक दिन... वो भगवान पारसुरम के पिता महर्षि जमदग्नि के आश्रम पहुँचा। तप में लीन महर्षि को उसने क्रूरता से मार डाला। लेकिन... उसकी क्रूरता यहीं नहीं रुकी!उसने परशुराम जी के चारों भाइयों की भी हत्या कर दी। जब माता रेणुका ने अपने पुत्र परशुराम को याद किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

 

परशुराम जी जब आश्रम पहुंचे तो अपने परिवार को मृत देखकरउनका क्रोध सातवें आसमान पर था। उन्होंने प्रतिज्ञा ली

"जब-जब धरती पर अधर्मी और अन्यायी क्षत्रिय जन्म लेंगे, मैं उनका विनाश करूंगा!" और इसी प्रतिज्ञा के तहत उन्होंने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती! परशुराम जी ने क्रोध में आकर बीस बार पृथ्वी को क्षत्रियविहीन कर दिया।

लेकिन जब 21बार क्षत्रियों का संहार कर रहे थे, कुछ राजा जान बचाकर जंगल में जा छिपे। वहीं... हनुमान जी तपस्या में लीन थे। डरे हुए उन राजाओं ने हनुमान जी से रक्षा की गुहार लगाई

"प्रभु! किसी और के पाप की सजा हमें क्यों मिल रही है?"

हनुमान जी ने उन्हें आश्वासन दिया

"जब तक मैं हूँ, तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता।"

और तब शुरू हुआ वो टकराव, जिसे पूरी सृष्टि ने देखा। जब परशुराम जी उन राजाओं की तलाश में पहुँचे, तो उनके सामने हनुमान जी खड़े थे।

हनुमान जी ने विनम्रता से पूछा

"हे ऋषिवर, आप इन निर्दोष राजाओं का संहार क्यों करना चाहते हैं?"

परशुराम जी ने तीखे स्वर में कहा

"हे वानर! तुम कौन हो, जो मेरे मार्ग में बाधा डाल रहे हो?"

हनुमान जी ने उत्तर दिया

"मैंने इनकी रक्षा का वचन दिया है। यदि आपको इन्हें मारना है, तो पहले मुझे हराना होगा।"

औरयही वो क्षण था, जब दो महान योद्धाओं के बीच भयानक युद्ध शुरू हो गया!

धरती काँप उठीआकाश गूंज उठाहनुमान जी ने अपनी गदा से आक्रमण किया, परशुराम जी ने अपने परशु (फरसे) से जवाब दिया। एक प्रहार से पर्वत हिल गए, पेड़ उखड़ गएदोनों की शक्ति इतनी प्रचंड थी कि चारों दिशाएँ अंधकारमय हो गईं। हनुमान जी का हर प्रहार आंधी की तरह था, और परशुराम जी के फरसे की चमक से आकाश जल उठा। युद्ध इतना भयंकर था कि स्वयं देवता भी भयभीत हो गए।

लेकिन तभीएक चमत्कार हुआ! महादेव शिव स्वयं युद्धभूमि में प्रकट हुए।

उनकी दिव्य उपस्थिति से चारों ओर शांति छा गई।

भगवान शिव ने दोनों को शांत करते हुए कहा

"हे परशुराम! हनुमान केवल शक्ति ही नहीं, भक्ति का प्रतीक हैं। और हनुमान, परशुराम केवल योद्धा ही नहीं, धर्म रक्षक हैं।"

महादेव ने परशुराम जी को उनके कर्तव्य की याद दिलाई और हनुमान जी को उनकी तपस्या की महानता बताई।

हनुमान जी और परशुराम जी ने एक-दूसरे का सम्मान करते हुए अपना क्रोध त्याग दिया।

इस तरह, वो भयानक युद्ध समाप्त हुआ। लेकिन ये कथा हमें याद दिलाती है

"शक्ति का सही उपयोग तब होता है, जब उसे धर्म और न्याय के लिए प्रयोग किया जाए।"तो सोचिएअगर ये युद्ध जारी रहता, तो क्या धरती बच पाती?" आप आपने विचार हमे कमेंट बॉक्स मे लिख कर बता सकते हैं विडियो पसंद आई है तो विडियो को लाइक और हमारे इस चैनल को सुब्स्कृबे करना न भूलें

कलयुग में नारायणी सेना की वापसी संभव है ? The Untold Story of Krishna’s ...

क्या महाभारत युद्ध में नारायणी सेना का अंत हो गया ... ? या फिर आज भी वो कहीं अस्तित्व में है ... ? नारायणी सेना — वो ...