क्या महाभारत
युद्ध
में
नारायणी
सेना
का
अंत
हो
गया...?
या फिर
आज
भी
वो
कहीं
अस्तित्व
में
है...?
नारायणी सेना
—
वो
सेना
जिसे
स्वयं
भगवान
श्रीकृष्ण
ने
प्रशिक्षित
किया
था...
जिसके योद्धा
सिर्फ
ग्वाल यादव नहीं, बल्कि
रणभूमि के महारथी
थे।
जिन्होंने कलारिपयट्टू
जैसी
प्राचीन
मार्शल
आर्ट
में
महारत
हासिल
की
थी...
और कहते
हैं, ये
सेना
कभी
कोई
युद्ध
हारी
नहीं...
लेकिन... जब
महाभारत
का
युद्ध
समाप्त
हुआ, तो
ये
अपराजेय
सेना
अचानक
ग़ायब
हो
गई।
इतिहास के
पन्नों
से...
किसी
रहस्य
की
तरह
मिटा
दी
गई...
क्या युद्ध
में
इनका
नाश
हुआ...? या
कोई
गहरा
षड्यंत्र
था...?
क्या कलियुग
में
इनकी
वापसी
होगी...?
तो बने
रहिए
हमारे
साथ, क्योंकि
आज के
इस
वीडियो
में
हम
उठाने
जा
रहे
हैं
पर्दा
—
नारायणी
सेना
के
उस
रहस्य
से...
जो हज़ारों
सालों
से
छुपा
हुआ
है!"
जब धर्म और अधर्म आमने-सामने खड़े थे, तब एक शांत कमरे में, तीन महायोद्धा आमने-
सामने बैठे थे — श्रीकृष्ण, अर्जुन और दुर्योधन। महाभारत युद्ध की गंध चारों ओर फैल चुकी थी।
दुर्योधन और अर्जुन — दोनों ही श्रीकृष्ण से मदद मांगने
द्वारका पहुँचे थे।
कृष्ण विश्राम कर रहे थे…
और जब आँख खुली… उन्होंने एक ओर अर्जुन को
पैरों की ओर बैठा पाया, और दूसरी ओर दुर्योधन को सिरहाने
खड़ा। कृष्ण मुस्कराए, और बोले —
"मैं दोनों की बात सुनूंगा,
लेकिन एक ही सहायता दूंगा। मेरे पास दो चीज़ें हैं:
एक, मैं
स्वयं, लेकिन युद्ध में शस्त्र नहीं उठाऊंगा।
दूसरी, मेरी
नारायणी सेना, जो अजेय और अपराजेय है।
तुम दोनों में से पहले अर्जुन को चुनने का अधिकार है, क्योंकि वो पहले आया।" दुर्योधन का दिल
धड़कने लगा। उसे विश्वास था कि अर्जुन सेना चुनेगा, और वह खुद कृष्ण को ले जाएगा। लेकिन…
अर्जुन ने सिर्फ मुस्कराकर
कहा:
"हे माधव, मुझे
सिर्फ आप चाहिएँ। आपकी उपस्थिति ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है।"
दुर्योधन भीतर ही भीतर हँस पड़ा —
उसे नारायणी सेना मिल गई थी!
उसे लगा, उसने युद्ध जीत लिया… पर यही था कृष्ण की लीला। कृष्ण ने अर्जुन के रथ की बागडोर
थामी और इतिहास ने देखा — जहाँ कृष्ण होते
हैं, वहीं विजय होती है।
और दुर्योधन को मिली वो नारायणी सेना,
जो अंत में भी धर्म के विरुद्ध कुछ न कर सकी…
क्या आपने
कभी सोचा
है…
इतिहास की
सबसे
शक्तिशाली
सेना, जो
अजेय
थी, जिसे
देखकर
राजाओं
के
दिल
कांप
उठते
थे…
नारायणी सेना, जो भगवान श्रीकृष्ण की थी — आख़िर महाभारत युद्ध के बाद अचानक कहाँ
गायब
हो
गई? महाभारत
में
वर्णन
है
—
ये
कोई
आम
योद्धा
नहीं
थे।
ये थे
आभीर
वंश
के
अद्वितीय
वीर, जिन्हें
नारायण
गोप
भी
कहा
जाता
है।
कृष्ण की
यही
सेना
थी, जिसने
पूरे
भारत
में
यादव
साम्राज्य
की
सीमा
फैलाई।
इसमें कृष्ण
के
18,000 भाई और
चचेरे
भाई
शामिल
थे
7 अतिरथ… 7 महारथ…
और हर योद्धा अकेले एक सेना पर भारी। पर युद्ध के बाद... ना कोई शव मिला, ना कोई विजेता
लौटा। कहते हैं — ये अपराजेय सेना पाताल लोक चली गई। क्यों? कैसे? और सबसे बड़ा सवाल
—
क्या
वे
वापस
लौटेंगे? पुराणों
में
एक
रहस्यमयी
भविष्यवाणी
है…
जब कलियुग
अपने
चरम
पर
होगा, जब
अधर्म
की
अंधेरी
रात
सबसे
गहरी
होगी,
तब विष्णु
के
दसवें
अवतार
भगवान
कल्कि
का
आगमन
होगा
और ठीक उसी
वक्त…
नारायणी सेना
लौटेगी!
हाँ, वही
सेना
जो
हजारों
सालों
से
अदृश्य
है…
वही वीर, जो
श्रीकृष्ण
की
आज्ञा
से
सो
गए
हैं
समय
के
गर्भ
में…फिर
से
उठेंगे…
और धर्म
की
पुनः
स्थापना
करेंगे।
क्या कलियुग में नारायणी सेना की वापसी होगी?
क्या कल्कि अवतार के साथ फिर एक बार धर्म
की स्थापना होगी?"
"इस रहस्य पर आपकी क्या राय है?
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