महाभारत हमें हमारे कर्तव्यों का बोध करता है और रामायण
हमें त्याग की शिक्षा देती है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, भगवान कृष्ण, सीता, गांधारी, मंदोदरी के जीवन के प्रेरक प्रसंग पारिवारिक सुखी जीवन के लिए शास्वत सत्य हैं. इन ग्रंथों को पढ़ने
वाला हर व्यक्ति जनता है कि पुरुषों में सत्ता का लालच और अहंकार मानवता को युद्ध
की त्रासदी में धकेल देता है. दुर्योधन का अहंकार महाभारत के युद्ध का कारण बना तो
रावण में सत्ता का अहंकार उसकी सोने की लंका को नष्ट होने का कारण बना। दोस्तों आज
हम इस विडियो मे महाभारत और रामायण के दो महान पात्रो की तुलना करेंगे और ये देखने
का प्रयास करेंगे की कौन किससे बेहतर और श्रेष्ठ है । रामायण से भगवान राम के अनुज
लक्ष्मण और महाभारत से सूर्य देव के पुत्र कर्ण कौन अधिक बलशाली है
हमें त्याग की शिक्षा देती है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, भगवान कृष्ण, सीता, गांधारी, मंदोदरी के जीवन के प्रेरक प्रसंग पारिवारिक सुखी जीवन के लिए शास्वत सत्य हैं. इन ग्रंथों को पढ़ने
वाला हर व्यक्ति जनता है कि पुरुषों में सत्ता का लालच और अहंकार मानवता को युद्ध
की त्रासदी में धकेल देता है. दुर्योधन का अहंकार महाभारत के युद्ध का कारण बना तो
रावण में सत्ता का अहंकार उसकी सोने की लंका को नष्ट होने का कारण बना। दोस्तों आज
हम इस विडियो मे महाभारत और रामायण के दो महान पात्रो की तुलना करेंगे और ये देखने
का प्रयास करेंगे की कौन किससे बेहतर और श्रेष्ठ है । रामायण से भगवान राम के अनुज
लक्ष्मण और महाभारत से सूर्य देव के पुत्र कर्ण कौन अधिक बलशाली है
ये काल चक्र है
भगवान राम को जहां विष्णु का अवतार माना गया है वहीं
लक्ष्मण को शेषावतार कहा जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार शेषनाग के कई
अवतारों का उल्लेख मिलता है जिनमें राम के भाई लक्ष्मण और कृष्ण के भाई बलराम
मुख्य हैं। राम और लक्ष्मण सहित चारों भाइयों के दो गुरु थे- वशिष्ठ, विश्वामित्र। विश्वामित्र
दण्डकारण्य में यज्ञ कर रहे थे। रावण के द्वारा वहां नियुक्त ताड़का, सुबाहु और मारीच
जैसे- राक्षस इनके यज्ञ में बार-बार विघ्न उपस्थित कर देते थे। विश्वामित्र अपनी
यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम-लक्ष्मण को महाराज दशरथ से मांगकर ले आए। दोनों भाइयों
ने मिलकर राक्षसों का वध किया और विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हुई। लक्ष्मण ने
अपने बड़े भाई के लिए चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहकर वैराग्य का आदर्श उदाहरण
प्रस्तुत किया। रावण जैसे महाप्रतापी राक्षस
भी लक्ष्मण द्वारा खिची गई रेखा को नहीं पार कर पाया । लक्ष्मण की वीरता का अनुमान
इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध के मे लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया
था जिसने इंद्रा देव को परास्त किया था और जिसके पास मायावी शक्तियाँ थी।
लक्ष्मण को शेषावतार कहा जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार शेषनाग के कई
अवतारों का उल्लेख मिलता है जिनमें राम के भाई लक्ष्मण और कृष्ण के भाई बलराम
मुख्य हैं। राम और लक्ष्मण सहित चारों भाइयों के दो गुरु थे- वशिष्ठ, विश्वामित्र। विश्वामित्र
दण्डकारण्य में यज्ञ कर रहे थे। रावण के द्वारा वहां नियुक्त ताड़का, सुबाहु और मारीच
जैसे- राक्षस इनके यज्ञ में बार-बार विघ्न उपस्थित कर देते थे। विश्वामित्र अपनी
यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम-लक्ष्मण को महाराज दशरथ से मांगकर ले आए। दोनों भाइयों
ने मिलकर राक्षसों का वध किया और विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हुई। लक्ष्मण ने
अपने बड़े भाई के लिए चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहकर वैराग्य का आदर्श उदाहरण
प्रस्तुत किया। रावण जैसे महाप्रतापी राक्षस
भी लक्ष्मण द्वारा खिची गई रेखा को नहीं पार कर पाया । लक्ष्मण की वीरता का अनुमान
इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध के मे लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया
था जिसने इंद्रा देव को परास्त किया था और जिसके पास मायावी शक्तियाँ थी।
अब बात करते हैं महाभात से
पांडवो मे सबसे बड़े कर्ण की, दुर्वासा
ऋषि के वरदान से कुंती ने सूर्य का आह्वान करके कौमार्य में ही कर्ण को जन्म दिया
था। लोक-लाज भय से कुंती ने उसे नदी में बहा दिया था। कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को महाभारत का एक
महत्वपूर्ण योद्धा माना जाता है। कर्ण की शक्ति अर्जुन और दुर्योधन से कम नहीं थी।
उसके पास इंद्र द्वारा दिया गया अमोघास्त्र था। इस अमोघास्त्र का प्रयोग उसने
दुर्योधन के कहने पर भीम पुत्र घटोत्कच पर किया था इसके प्रयोग से भीम पुत्र
घटोत्कच मारा गया था।
पांडवो मे सबसे बड़े कर्ण की, दुर्वासा
ऋषि के वरदान से कुंती ने सूर्य का आह्वान करके कौमार्य में ही कर्ण को जन्म दिया
था। लोक-लाज भय से कुंती ने उसे नदी में बहा दिया था। कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को महाभारत का एक
महत्वपूर्ण योद्धा माना जाता है। कर्ण की शक्ति अर्जुन और दुर्योधन से कम नहीं थी।
उसके पास इंद्र द्वारा दिया गया अमोघास्त्र था। इस अमोघास्त्र का प्रयोग उसने
दुर्योधन के कहने पर भीम पुत्र घटोत्कच पर किया था इसके प्रयोग से भीम पुत्र
घटोत्कच मारा गया था।
कर्ण धनुर्विद्या में अत्यधिक
प्रवीण है। वह अपने समय का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी है, जिसके सामने अर्जुन को भी टिकना मुश्किल
लगता है। इसलिए इंद्र देवता ने अर्जुन की रक्षा के लिए कर्ण से ब्राह्मण वेश
धारणकर कवच-कुंडल मांग लिए। कर्ण उच्च स्तर के संस्कारों से युक्त है। वह नैतिकता
को अपने जीवन में विशेष महत्व देता है। इसी नैतिकता के कारण वह द्रौपदी के अपहरण
संबंधी दुर्योधन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है।
प्रवीण है। वह अपने समय का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी है, जिसके सामने अर्जुन को भी टिकना मुश्किल
लगता है। इसलिए इंद्र देवता ने अर्जुन की रक्षा के लिए कर्ण से ब्राह्मण वेश
धारणकर कवच-कुंडल मांग लिए। कर्ण उच्च स्तर के संस्कारों से युक्त है। वह नैतिकता
को अपने जीवन में विशेष महत्व देता है। इसी नैतिकता के कारण वह द्रौपदी के अपहरण
संबंधी दुर्योधन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है।
कर्ण अपने समय का सर्वश्रेष्ठ
दानवीर था। उसकी दानवीरता अद्वितीय है। युद्ध में अर्जुन की विजय को सुनिश्चित
करने के लिए इंद्र ने कवच-कुंडल मांगे। सारी वस्तु-स्थिति को समझते हुए भी कर्ण ने
इसका दान दे दिया। इतना ही नहीं युद्धभूमि में मृत्यु शैया पर पड़े कर्ण ने श्री
कृष्ण द्वारा ब्राह्मण वेश में सोना दान में मांगने पर कर्ण ने अपने सोने का दांत
उखाड़ कर दे दिया। रामायण के लक्ष्मण एवं महाभारत के कर्ण के बीच वैयक्तिक् तौर
तुलना नही किया जा सकता, क्योंकि वे
संकालिन नही थे। फिर भी अगर दोनो द्वारा अपने जीवन मे किये गए युद्धों पर
दृष्टिपात करने पर पता चलता है की लक्ष्मण जी अपने युद्धों मे अपने लक्ष्य का बेधन
करने मे सफल रहे, जबकि कर्ण
असफल रहे। आप इस दुनिया मे क्या कर सकते हैं, इनसे ज्यादा महत्व यह रखता है कि आप क्या करने मे सफल रहे। स्पष्टः
लक्षमण जी ज्यादा श्रेष्ठ सिद्ध होते हैं।
दानवीर था। उसकी दानवीरता अद्वितीय है। युद्ध में अर्जुन की विजय को सुनिश्चित
करने के लिए इंद्र ने कवच-कुंडल मांगे। सारी वस्तु-स्थिति को समझते हुए भी कर्ण ने
इसका दान दे दिया। इतना ही नहीं युद्धभूमि में मृत्यु शैया पर पड़े कर्ण ने श्री
कृष्ण द्वारा ब्राह्मण वेश में सोना दान में मांगने पर कर्ण ने अपने सोने का दांत
उखाड़ कर दे दिया। रामायण के लक्ष्मण एवं महाभारत के कर्ण के बीच वैयक्तिक् तौर
तुलना नही किया जा सकता, क्योंकि वे
संकालिन नही थे। फिर भी अगर दोनो द्वारा अपने जीवन मे किये गए युद्धों पर
दृष्टिपात करने पर पता चलता है की लक्ष्मण जी अपने युद्धों मे अपने लक्ष्य का बेधन
करने मे सफल रहे, जबकि कर्ण
असफल रहे। आप इस दुनिया मे क्या कर सकते हैं, इनसे ज्यादा महत्व यह रखता है कि आप क्या करने मे सफल रहे। स्पष्टः
लक्षमण जी ज्यादा श्रेष्ठ सिद्ध होते हैं।