Sunday, 24 May 2020

लक्ष्मण और कर्ण मे सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन था ?



महाभारत हमें हमारे कर्तव्यों का बोध करता है और रामायण
हमें त्याग की शिक्षा देती है.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम
, भगवान कृष्ण, सीता, गांधारी, मंदोदरी के जीवन के प्रेरक प्रसंग पारिवारिक सुखी जीवन के लिए शास्वत सत्य हैं. इन ग्रंथों को पढ़ने
वाला हर व्यक्ति जनता है कि पुरुषों में सत्ता का लालच और अहंकार मानवता को युद्ध
की त्रासदी में धकेल देता है. दुर्योधन का अहंकार महाभारत के युद्ध का कारण बना तो
रावण में सत्ता का अहंकार उसकी सोने की लंका को नष्ट होने का कारण बना। दोस्तों आज
हम इस विडियो मे महाभारत और रामायण के दो महान पात्रो की तुलना करेंगे और ये देखने
का प्रयास करेंगे की कौन किससे बेहतर और श्रेष्ठ है । रामायण से भगवान राम के अनुज
लक्ष्मण और महाभारत से सूर्य देव के पुत्र कर्ण कौन अधिक बलशाली है
ये काल चक्र है
भगवान राम को जहां विष्णु का अवतार माना गया है वहीं
लक्ष्मण को शेषावतार कहा जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार शेषनाग के कई
अवतारों का उल्लेख मिलता है जिनमें राम के भाई लक्ष्मण और कृष्ण के भाई बलराम
मुख्य हैं। राम और लक्ष्मण सहित चारों भाइयों के दो गुरु थे- वशिष्ठ
, विश्वामित्र। विश्वामित्र
दण्डकारण्य में यज्ञ कर रहे थे। रावण के द्वारा वहां नियुक्त ताड़का
, सुबाहु और मारीच
जैसे- राक्षस इनके यज्ञ में बार-बार विघ्न उपस्थित कर देते थे। विश्वामित्र अपनी
यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम-लक्ष्मण को महाराज दशरथ से मांगकर ले आए। दोनों भाइयों
ने मिलकर राक्षसों का वध किया और विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हुई। लक्ष्मण ने
अपने बड़े भाई के लिए चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहकर वैराग्य का आदर्श उदाहरण
प्रस्तुत किया।
रावण जैसे महाप्रतापी राक्षस
भी लक्ष्मण द्वारा खिची गई रेखा को नहीं पार कर पाया । लक्ष्मण की वीरता का अनुमान
इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध के मे लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया
था जिसने इंद्रा देव को परास्त किया था और जिसके पास मायावी शक्तियाँ थी।
अब बात करते हैं महाभात से
पांडवो मे सबसे बड़े कर्ण की
, दुर्वासा
ऋषि के वरदान से कुंती ने सूर्य का आह्वान करके कौमार्य में ही कर्ण को जन्म दिया
था। लोक-लाज भय से कुंती ने उसे नदी में बहा दिया था।  कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को महाभारत का एक
महत्वपूर्ण योद्धा माना जाता है। कर्ण की शक्ति अर्जुन और दुर्योधन से कम नहीं थी।
उसके पास इंद्र द्वारा दिया गया अमोघास्त्र था। इस अमोघास्त्र का प्रयोग उसने
दुर्योधन के कहने पर भीम पुत्र घटोत्कच पर किया था इसके प्रयोग से भीम पुत्र
घटोत्कच मारा गया था।
कर्ण धनुर्विद्या में अत्यधिक
प्रवीण है। वह अपने समय का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी है
, जिसके सामने अर्जुन को भी टिकना मुश्किल
लगता है। इसलिए इंद्र देवता ने अर्जुन की रक्षा के लिए कर्ण से ब्राह्मण वेश
धारणकर कवच-कुंडल मांग लिए। कर्ण उच्च स्तर के संस्कारों से युक्त है। वह नैतिकता
को अपने जीवन में विशेष महत्व देता है। इसी नैतिकता के कारण वह द्रौपदी के अपहरण
संबंधी दुर्योधन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है।
कर्ण अपने समय का सर्वश्रेष्ठ
दानवीर था। उसकी दानवीरता अद्वितीय है। युद्ध में अर्जुन की विजय को सुनिश्चित
करने के लिए इंद्र ने कवच-कुंडल मांगे। सारी वस्तु-स्थिति को समझते हुए भी कर्ण ने
इसका दान दे दिया। इतना ही नहीं युद्धभूमि में मृत्यु शैया पर पड़े कर्ण ने श्री
कृष्ण द्वारा ब्राह्मण वेश में सोना दान में मांगने पर कर्ण ने अपने सोने का दांत
उखाड़ कर दे दिया। रामायण के लक्ष्मण एवं महाभारत के कर्ण के बीच वैयक्तिक् तौर
तुलना नही किया जा सकता
, क्योंकि वे
संकालिन नही थे। फिर भी अगर दोनो द्वारा अपने जीवन मे किये गए युद्धों पर
दृष्टिपात करने पर पता चलता है की लक्ष्मण जी अपने युद्धों मे अपने लक्ष्य का बेधन
करने मे सफल रहे
, जबकि कर्ण
असफल रहे। आप इस दुनिया मे क्या कर सकते हैं
, इनसे ज्यादा महत्व यह रखता है कि आप क्या करने मे सफल रहे। स्पष्टः
लक्षमण जी ज्यादा श्रेष्ठ सिद्ध होते हैं।

Thursday, 7 May 2020

क्या ये कलयुग के अंत का संकेत है ?? When and How will Kaliyuga End?



सावधान! कलयुग चरम पर है, बचना है तो जान
लें पुराणों की भविष्‍यवाणी
कलयुग किसी गलती से नहीं आया, कलयुग अपने समय पर विधि के विधान अनुसार ही
उपस्थित हुआ है . राजा परीक्षित न होता तो कोई और होता परंतु कलयुग को तो आना ही
था और जिस तरह कलयुग आया उसी प्रकार इसे जाना भी है.यह अटल सत्य है.
जब-जब धर्म की हानि होती है, ईश्वर अवतार लेकर
अधर्म का अंत करते हैं। हिन्दू धर्म में इस संदेश के साथ अलग-अलग युगों में जगत को
दु:ख और भय से मुक्त करने वाले ईश्वर के कई अवतारों के पौराणिक प्रसंग हैं। दरअसल
, इनमें सच्चाई और
अच्छे कामों को अपनाने के भी कई सबक हैं। साथ ही इनके जरिए युग के बदलाव के साथ
प्राणियों के कर्म
, विचार व व्यवहार में अधर्म और पापकर्मों के
बढ़ने के भी संकेत दिए गए हैं।
आइए जानते हैं किस पुराण मे कलयुग के विषय मे क्या
भविष्यवाणी की गई है...
ये काल चक्र है
श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण इन दोनों में कलियुग के अंत का विस्तार से वर्णन मिलता
है। कलियुग में भगवान विष्णु का कल्कि रूप में अवतार होगा
, जो पापियों का
संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे। कल्कि धर्म की रक्षा कर सबको धर्म पथ
पर डालेगें । कलियुग के अंत में संसार में अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली-मांस ही
खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। एक समय ऐसा आएगा
, जब जमीन से अन्न
उपजना बंद हो जाएगा। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद
कर देगी।
मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी। 16 वर्ष में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु
को प्रा‍प्त हो जाएंगे। इंसान का शरीर घटकर बोना हो जाएगा।

 ब्रह्मवैवर्त पुराण
में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह
जाएगी
, युवावस्था समाप्त
हो जाएगी। कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे
, क्षीण और
रोगग्रस्त होने लगेंगे।
श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत
श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं
, ज्यों-ज्यों घोर
कलयुग आता जाएगा
, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति
का लोप होता जाएगा।  कलयुग के अंत में जिस
समय कल्कि अवतार अव‍तरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी।
जिस समय कल्कि अवतार धर्म-कर्म का लोप हो 
जाएगा। मनुष्य जपरहित नास्तिक हो जाएंगे। सभी एक-दूसरे को लूटने में
रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा।
मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।
जुआ
, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा। ब्रह्मचारी
लोग वेदों में कहे गए व्रत का पालन किए बिना ही वेदाध्यापन करेंगे। गृहस्थ पुरुष न
तो हवन करेंगे न ही सत्पात्र को उचित दान देंगे। कलियुग का वर्णन करते हुए
श्रीकृषण कहते हैं कि कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा
, जो दोनों ओर से
शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही
लोगों का राज्य होगा। इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे
, जो बड़े ज्ञानी
और ध्यानी कहलाएंगे। वे ज्ञान की चर्चा तो करेंगे
, लेकिन उनके आचरण
राक्षसी होंगे। बड़े विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य
मरे और हमारे नाम से संपत्ति या पद कर जाए कलियुग का मनुष्य शिशुपाल हो जाएगा।
कलियुग में बालकों के लिए ममता के कारण इतना करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर
ही नहीं मिलेगा। मोह-माया में ही घर बर्बाद हो जाएगा। किसी का बेटा घर छोड़कर साधु
बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे
, किंतु यदि अपना
बेटा साधु बनता होगा तो रोएंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा
? इतनी सारी ममता
होगी कि उसे मोह-माया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो
जाएगा।
दोस्तों ये थी कलयुग के विषय
मे वो बातें जो हमे पुरानो के माध्यम से पता चलती हैं। कलयुग के विषय मे कोई अन्य
जानकारी जो आप हमसे संझन करना चाहते हैं तो हमे कमेंट बॉक्स मे लिखें।  

कलयुग में नारायणी सेना की वापसी संभव है ? The Untold Story of Krishna’s ...

क्या महाभारत युद्ध में नारायणी सेना का अंत हो गया ... ? या फिर आज भी वो कहीं अस्तित्व में है ... ? नारायणी सेना — वो ...