रावण ने मरते वक़्त लक्ष्मण को
कौन सी तीन महत्वपूर्ण बातें बतायीं
कौन सी तीन महत्वपूर्ण बातें बतायीं
राम प्रत्येक भारतीय के आराध्य देव हैं और वे भारत के कण-कण
में रमें हैं। वे आदर्श पुरुष हैं, मर्यादा
पुरुषोत्तम हैं। उनकी तुलना में रावण को राक्षस, कुरूप, अत्याचारी, आतताई आदि विकृति
के विभिन्न प्रतीक रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन क्या यह संभव है कि
समृद्ध, वैभवपूर्ण विशाल राष्ट्र का अधिनायक केवल दुर्गुणों से भरा
हो ? वह भी ऐसा सम्राट जिसे राज्य सत्ता उत्तराधिकार में न मिली
हो, बल्कि अपने कौशल, दुस्साहस और
अनवरत संघर्ष से जिसने अपने समकालीन राजाओं को अपदस्थ कर सत्ता हासिल कर उसकी
सीमाओं का लगातार विस्तार किया हो, ऐसा नरेश सिर्फ
दुराचारी और अविवेकशील नहीं हो सकता ? ऐसे सम्राट की
राजनैतिक व कूटनीतिक चतुराई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइये जानते हैं रावण ने
मरते वक़्त लक्ष्मण को क्या तीन बातें बतायीं।
में रमें हैं। वे आदर्श पुरुष हैं, मर्यादा
पुरुषोत्तम हैं। उनकी तुलना में रावण को राक्षस, कुरूप, अत्याचारी, आतताई आदि विकृति
के विभिन्न प्रतीक रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन क्या यह संभव है कि
समृद्ध, वैभवपूर्ण विशाल राष्ट्र का अधिनायक केवल दुर्गुणों से भरा
हो ? वह भी ऐसा सम्राट जिसे राज्य सत्ता उत्तराधिकार में न मिली
हो, बल्कि अपने कौशल, दुस्साहस और
अनवरत संघर्ष से जिसने अपने समकालीन राजाओं को अपदस्थ कर सत्ता हासिल कर उसकी
सीमाओं का लगातार विस्तार किया हो, ऐसा नरेश सिर्फ
दुराचारी और अविवेकशील नहीं हो सकता ? ऐसे सम्राट की
राजनैतिक व कूटनीतिक चतुराई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आइये जानते हैं रावण ने
मरते वक़्त लक्ष्मण को क्या तीन बातें बतायीं।
जिस समय रावण मरणासन की अवस्था में धरती पर पड़ा हुआ था, राम ने लक्ष्मण
से कहा, राजनीति शास्त्र
का महान विद्वान इस दुनिया से विदा ले रहा है, तुम जाकर उस प्रकांड विद्वान से कुछ जीवन की शिक्षा ले लो।
भईया की आज्ञा अनुसार लक्ष्मण रावण के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। रावण ने
लक्ष्मण से कुछ नहीं कहा,
तब लक्ष्मण वापस
भईया राम के पास चले आए। राम ने इसे देखकर कहा, लक्ष्मण शिक्षा हमेशा गुरु के चरणों के पास ही बैठकर ली
जाती है, यह सुनकर लक्ष्मण
रावण के पैरों के पास जाकर बैठ गए तब महाज्ञानी तथा प्रकांड विद्वान रावण ने
लक्ष्मण को जीवन की तीन अमूल्य बातें बताई ।
से कहा, राजनीति शास्त्र
का महान विद्वान इस दुनिया से विदा ले रहा है, तुम जाकर उस प्रकांड विद्वान से कुछ जीवन की शिक्षा ले लो।
भईया की आज्ञा अनुसार लक्ष्मण रावण के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। रावण ने
लक्ष्मण से कुछ नहीं कहा,
तब लक्ष्मण वापस
भईया राम के पास चले आए। राम ने इसे देखकर कहा, लक्ष्मण शिक्षा हमेशा गुरु के चरणों के पास ही बैठकर ली
जाती है, यह सुनकर लक्ष्मण
रावण के पैरों के पास जाकर बैठ गए तब महाज्ञानी तथा प्रकांड विद्वान रावण ने
लक्ष्मण को जीवन की तीन अमूल्य बातें बताई ।
१. पहला उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को सबसे पहली बात यह बताई
कि शुभ कार्य को जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। उसके लिए कभी लंबा इंतजार नहीं
करना चाहिए, वरना जीवन कब
समाप्त हो जाए किसी को पता नहीं। (क्योकि रावण ने कई शुभ कार्यो को किसी कारण वश
टाल रखा था, जिसे वह कभी पूरा
नहीं कर पाया।) तथा अशुभ कार्य को जितना टाला जा सके उसे टाल देना चाहिए।
कि शुभ कार्य को जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। उसके लिए कभी लंबा इंतजार नहीं
करना चाहिए, वरना जीवन कब
समाप्त हो जाए किसी को पता नहीं। (क्योकि रावण ने कई शुभ कार्यो को किसी कारण वश
टाल रखा था, जिसे वह कभी पूरा
नहीं कर पाया।) तथा अशुभ कार्य को जितना टाला जा सके उसे टाल देना चाहिए।
२. दूसरा उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को दुसरा सबसे महत्वपूर्ण
बात बताया कि शत्रु तथा रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए, छोटे से छोटा रोग
भी प्राण घातक हो सकता है,
तथा छोटे से छोटा
शत्रु भी सर्वनाश कर सकता है। रावण ने राम, लक्ष्मण और उनकी वानर सेना को तुक्छ समझा था, और वही रावण के
मृत्यु का कारण बने।
बात बताया कि शत्रु तथा रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए, छोटे से छोटा रोग
भी प्राण घातक हो सकता है,
तथा छोटे से छोटा
शत्रु भी सर्वनाश कर सकता है। रावण ने राम, लक्ष्मण और उनकी वानर सेना को तुक्छ समझा था, और वही रावण के
मृत्यु का कारण बने।
३. तीसरा उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को तीसरी ज्ञान की बात यह
बताई कि, अपने जीवन से
जुड़े राज को यथासंभव गुप्त ही रखना चाहिए। उसे किसी भी व्यक्ति से नहीं बतानी
चाहिए, चाहे वह अपका
सबसे प्रिय क्यों ना हो। यदि वह रहस्य प्रगट हो गया, तो उसका जीवन पर बुरा प्रभाव हो सकता है। रावण
के नाभि में अमृत कुंड का रहस्य विभीषण द्वारा प्रगट होने पर ही रावण का वध हुआ।
बताई कि, अपने जीवन से
जुड़े राज को यथासंभव गुप्त ही रखना चाहिए। उसे किसी भी व्यक्ति से नहीं बतानी
चाहिए, चाहे वह अपका
सबसे प्रिय क्यों ना हो। यदि वह रहस्य प्रगट हो गया, तो उसका जीवन पर बुरा प्रभाव हो सकता है। रावण
के नाभि में अमृत कुंड का रहस्य विभीषण द्वारा प्रगट होने पर ही रावण का वध हुआ।
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