बरबरीक
और इंद्रजीत
और इंद्रजीत
जब जब पृथ्वी पर पाप का घड़ा भरने लगता है तब तब
ईश्वर धर्म की स्थापना के लिए जन्म लेते हैं और इसी से रचना होती है नए धार्मिक
ग्रंथ की जो युगो युगो तक मनुष्य को मार्गदर्शन देता है। महाभारत और रामायण भी ऐसे
ही ग्रंथ हैं जिसमे भारत के इतिहास के बारे मे विस्तार से लिखा गया है जो यह सिद्ध
करता है की भारत एक देश नहीं अपितु राष्ट्र है एक राष्ट्र जो जन्म नहीं लेता न
बनाया जाता है वो तो युगो युगो से यथावत है जिसमे संस्कृति बनती है धर्म बनाता है।
महाभारत और रामायण की कथाएँ हमे आज के जीवन मे कठिन से कठिन समस्याओं से बाहर
निकालने की प्रेरणा देती हैं। हम भली भाति जानते हैं की दोनों ही ग्रन्थों मे धर्म
युद्ध का वृतांत है और कुछ महान योद्धाओं का जिक्र आता है। दोस्तों हमने अपने
पिछले अध्यायों मे रामायण और महाभारत के कुछ महान पत्रों जैसे रावण और पितामह
भीष्म, लक्ष्मण और अर्जुन, कुंभकर्ण और भीम जैसे पत्रों की
तुलना की है इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम महाभारत और रामायण से दो और महारथियों
की तुलना करेंगे॥ पहला है महाबली भीम के पौत्र बरबारीक और दूसरा है रावण का
महाप्रतापी पुत्र मेघनाद इंद्रजीत। आज इस विडियो मे दोनों ही योद्धाओ की विषताओं
और कमियों पर बात करेंगे और ये समझने का प्रयास करेंगे की कोन किससे बेहतर योद्धा
है।
ईश्वर धर्म की स्थापना के लिए जन्म लेते हैं और इसी से रचना होती है नए धार्मिक
ग्रंथ की जो युगो युगो तक मनुष्य को मार्गदर्शन देता है। महाभारत और रामायण भी ऐसे
ही ग्रंथ हैं जिसमे भारत के इतिहास के बारे मे विस्तार से लिखा गया है जो यह सिद्ध
करता है की भारत एक देश नहीं अपितु राष्ट्र है एक राष्ट्र जो जन्म नहीं लेता न
बनाया जाता है वो तो युगो युगो से यथावत है जिसमे संस्कृति बनती है धर्म बनाता है।
महाभारत और रामायण की कथाएँ हमे आज के जीवन मे कठिन से कठिन समस्याओं से बाहर
निकालने की प्रेरणा देती हैं। हम भली भाति जानते हैं की दोनों ही ग्रन्थों मे धर्म
युद्ध का वृतांत है और कुछ महान योद्धाओं का जिक्र आता है। दोस्तों हमने अपने
पिछले अध्यायों मे रामायण और महाभारत के कुछ महान पत्रों जैसे रावण और पितामह
भीष्म, लक्ष्मण और अर्जुन, कुंभकर्ण और भीम जैसे पत्रों की
तुलना की है इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम महाभारत और रामायण से दो और महारथियों
की तुलना करेंगे॥ पहला है महाबली भीम के पौत्र बरबारीक और दूसरा है रावण का
महाप्रतापी पुत्र मेघनाद इंद्रजीत। आज इस विडियो मे दोनों ही योद्धाओ की विषताओं
और कमियों पर बात करेंगे और ये समझने का प्रयास करेंगे की कोन किससे बेहतर योद्धा
है।
ये काल चक्र है...
यहाँ एक तरफ हैं महाबली भीम के पौत्र और अतिबलशाली
घटोत्कच का पुत्र बरबरीक जिसकी शक्ति से प्रभावित होकर स्वम भगवान कृष्ण को उसके समक्ष आना पड़ा और महाभारत युद्ध न लड़ने
देने के लिए युद्ध से पहले ही उन्होने अपने सुदर्शन से उसका सर काटना पड़ा। शक्ति
और सामर्थ्य का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की बरबारीक के कटे सिर ने पूरा
महाभारत युद्ध देखा क्यूँ की भगवान कृष्ण ने उसे ऐसा वरदान दिया था।
घटोत्कच का पुत्र बरबरीक जिसकी शक्ति से प्रभावित होकर स्वम भगवान कृष्ण को उसके समक्ष आना पड़ा और महाभारत युद्ध न लड़ने
देने के लिए युद्ध से पहले ही उन्होने अपने सुदर्शन से उसका सर काटना पड़ा। शक्ति
और सामर्थ्य का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की बरबारीक के कटे सिर ने पूरा
महाभारत युद्ध देखा क्यूँ की भगवान कृष्ण ने उसे ऐसा वरदान दिया था।
तो दूसरी तरफ हैं देवताओं तक को उनके राज्य से
बेदखल कर उनके राजा इंद्रा को बंदी बना लेने वाले मेगनाद इंद्रजीत। उनके ताकत का
अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध मे अपनी माया से उन्होने
लक्ष्मण तक को मूर्छित कर दिया।
बेदखल कर उनके राजा इंद्रा को बंदी बना लेने वाले मेगनाद इंद्रजीत। उनके ताकत का
अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध मे अपनी माया से उन्होने
लक्ष्मण तक को मूर्छित कर दिया।
आइए दोनों
हीं योद्धाओं की विशेषताओं पर नजर डालते हैं और ये समझने का प्रयास करते हैं की इन
दोनों मे कोण अधिक श्रेष्ठ था।
हीं योद्धाओं की विशेषताओं पर नजर डालते हैं और ये समझने का प्रयास करते हैं की इन
दोनों मे कोण अधिक श्रेष्ठ था।
पहला सिक्षा— इंद्रजीत के गुरु थे गुरु शुक्राचार्य
और बरबारीक के गुरु उनकी माता अहिलावती थी जो एक नागकन्या थीं। नैतिक सिक्षा के
आधार पर यहाँ बरबारीक जायदा मजबूत हैं।
और बरबारीक के गुरु उनकी माता अहिलावती थी जो एक नागकन्या थीं। नैतिक सिक्षा के
आधार पर यहाँ बरबारीक जायदा मजबूत हैं।
अब आते उनके अस्त्र सस्त्र पर— इंद्राजीत के पास उस
वक़्त के तीनो ही महान अस्त्र ब्रह्मास्त्र वैष्णवास्त्र और पसुप्तास्त थे. और उसका
रथ भी एक अस्त्र की भांति शक्तिशाली था.
इन्द्रजीत के पास नागपास अस्त्र भी था जिससे उसने लक्ष्मण तक को मुर्चित कर
दिया था परन्तु बरबारीक के अस्त्रों की बराबरी फिर भी नही की जा सकती है उसके पास
ऐसे तीन बान थे जिनसे वो समस्त सतरु सेन का विनाश कर सकता था। उसके एक बान की
काबलियत को देख कर स्वम भगवान कृष्ण को बरबारीक को युद्ध से अलग रखने के लिए उसका
शीश काटना पड़ा। महाभारत के सभी महारथियों aur समस्त सैनिकों
का एक पल मे विनाश करने वाले बनो की तुलना किसी से संभव नहीं है। उन बनो के समक्ष
इंद्रजीत जैसा योद्धा भी छोटा प्रतीत होता है।
वक़्त के तीनो ही महान अस्त्र ब्रह्मास्त्र वैष्णवास्त्र और पसुप्तास्त थे. और उसका
रथ भी एक अस्त्र की भांति शक्तिशाली था.
इन्द्रजीत के पास नागपास अस्त्र भी था जिससे उसने लक्ष्मण तक को मुर्चित कर
दिया था परन्तु बरबारीक के अस्त्रों की बराबरी फिर भी नही की जा सकती है उसके पास
ऐसे तीन बान थे जिनसे वो समस्त सतरु सेन का विनाश कर सकता था। उसके एक बान की
काबलियत को देख कर स्वम भगवान कृष्ण को बरबारीक को युद्ध से अलग रखने के लिए उसका
शीश काटना पड़ा। महाभारत के सभी महारथियों aur समस्त सैनिकों
का एक पल मे विनाश करने वाले बनो की तुलना किसी से संभव नहीं है। उन बनो के समक्ष
इंद्रजीत जैसा योद्धा भी छोटा प्रतीत होता है।
अब बात करते हैं बहुबल की— इन्द्रजीत एक मायावी योधा था उसने अपने माया से इंद्रा तक को पराजित कर
दिया था और उसी के बाद उसका नाम इन्द्रजीत पड़ा लक्ष्मण जैसे योद्धा को मूर्छित
करने वाला इंद्रजीत ही था। परंतु बरबारीक को भी कम नहीं आँका जा सकता है महाभारत
मे ही एक प्रसंग ऐसा भी आता है जब भूल वश एक बार बरबारीक का सामना अपने ही दादा
भीम से हो गया था तब भी बरबारीक अपने दादा से पराजित नही हुआ था ।
दिया था और उसी के बाद उसका नाम इन्द्रजीत पड़ा लक्ष्मण जैसे योद्धा को मूर्छित
करने वाला इंद्रजीत ही था। परंतु बरबारीक को भी कम नहीं आँका जा सकता है महाभारत
मे ही एक प्रसंग ऐसा भी आता है जब भूल वश एक बार बरबारीक का सामना अपने ही दादा
भीम से हो गया था तब भी बरबारीक अपने दादा से पराजित नही हुआ था ।
दोस्तों वरदान के नजरिए से देखा जाए तो जब बरबारीक
ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान स्वरूप दिया तब भगवान कृष्ण ने उसे ये वरदान दे
दिया की इस बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और तुम्हारी पुजा मेरे ही एक रूप मे
युगों युगों तक होगी क्युकी बर्बरीक का शीश खाटू नगर में दफनाया गया था इसलिए
उन्हें खाटूश्याम जी कहते है। इधर इंद्राजीत उसे युद्ध में कोई भी पराजित नहीं कर
सकता है. यहाँ भी बरबरीक का वरदान इंद्रजीत के वरदान से श्रेस्ठ दिखता है।
ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान स्वरूप दिया तब भगवान कृष्ण ने उसे ये वरदान दे
दिया की इस बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और तुम्हारी पुजा मेरे ही एक रूप मे
युगों युगों तक होगी क्युकी बर्बरीक का शीश खाटू नगर में दफनाया गया था इसलिए
उन्हें खाटूश्याम जी कहते है। इधर इंद्राजीत उसे युद्ध में कोई भी पराजित नहीं कर
सकता है. यहाँ भी बरबरीक का वरदान इंद्रजीत के वरदान से श्रेस्ठ दिखता है।
दोस्तों वीर बरबारीक और महाप्रतापी इंद्रजीत के बीच
अगर युद्ध होता तो उसमे कौन वजई होता इसपर आप अपने विचार हमे कोमेंट बॉक्स मे
लिखकर बता सकते हैं विडियो पसंद आई है तो विडियो को लाइक जरुर करे और ऐसी ही
धार्मिक विदेओस देखने के लिए हमारे इस चैनल को सुब्स्कृबे जरूर करे । धन्यवाद।
अगर युद्ध होता तो उसमे कौन वजई होता इसपर आप अपने विचार हमे कोमेंट बॉक्स मे
लिखकर बता सकते हैं विडियो पसंद आई है तो विडियो को लाइक जरुर करे और ऐसी ही
धार्मिक विदेओस देखने के लिए हमारे इस चैनल को सुब्स्कृबे जरूर करे । धन्यवाद।
बर्बरीक बाबा खाटू श्याम जी
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