Monday, 26 October 2020

रावण ने रचे हिन्दू धर्म के ये महान ग्रंथ । Books written by Ravan

रावण के द्वारा रचे गए ये शास्त्र पढ़ेंगे तो आप भी महापंडित बन जाएंगे

शिव तांडव स्तोत्र : रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की। रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा, तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से तनिक-सा जो दबाया तो कैलाश पर्वत फिर जहां था वहीं अवस्थित हो गया। इससे रावण का हाथ दब गया और वह क्षमा करते हुए कहने लगा- 'शंकर-शंकर'- अर्थात क्षमा करिए, क्षमा करिए और स्तुति करने लग गया। यह क्षमा याचना और स्तुति ही कालांतर में 'शिव तांडव स्तोत्र' कहलाया।

अरुण संहिता : संस्कृत के इस मूल ग्रंथ का अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है। मान्यता है कि इस का ज्ञान सूर्य के सार्थी अरुण ने लंकाधिपति रावण को दिया था। यह ग्रंथ जन्म कुण्डली, हस्त रेखा तथा सामुद्रिक शास्त्र का मिश्रण है।

रावण संहिता : रावण संहित जहां रावण के संपूर्ण जीवन के बारे में बताती है वहीं इसमें ज्योतिष की बेहतर जानकारियों का भंडार है।

चिकित्सा और तंत्र के क्षेत्र में रावण के ये ग्रंथ चर्चित हैं- 1. दस शतकात्मक अर्कप्रकाश, 2. दस पटलात्मक उड्डीशतंत्र, 3. कुमारतंत्र और 4. नाड़ी परीक्षा।

रावण के ये चारों ग्रंथ अद्भुत जानकारी से भरे हैं। रावण ने अंगूठे के मूल में चलने वाली धमनी को जीवन नाड़ी बताया है, जो सर्वांग-स्थिति व सुख-दु:ख को बताती है। रावण के अनुसार औरतों में वाम हाथ एवं पांव तथा पुरुषों में दक्षिण हाथ एवं पांव की नाड़ियों का परीक्षण करना चाहिए।

अन्य ग्रंथ : ऐसा कहते हैं कि रावण ने ही अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी।

इसी प्रकार शिशु-स्वास्थ्य योजना का विचारक 'अर्कप्रकाश' को रावण ने मंदोदरी के प्रश्नों के उत्तर के रूप में लिखा है। इसमें गर्भस्थ शिशु को कष्ट, रोग, काल, राक्षस आदि व्याधियों से मुक्त रखने के उपाय बताए गए हैं। 'कुमारतंत्र' में मातृकाओं को पूजा आदि देकर घर-परिवार को स्वस्थ रखने का वर्णन है। इसमें चेचक, छोटी माता, बड़ी माता जैसी मातृ व्याधियों के लक्षण व बचाव के उपाय बताए गए हैं।

Thursday, 8 October 2020

रावण ने मरते वक़्त लक्ष्मण को कौन सी तीन महत्वपूर्ण बातें बतायीं ??



रावण ने मरते वक़्त लक्ष्मण को
कौन सी तीन महत्वपूर्ण बातें बतायीं
राम प्रत्येक भारतीय के आराध्य देव हैं और वे भारत के कण-कण
में रमें हैं। वे आदर्श पुरुष हैं
, मर्यादा
पुरुषोत्तम हैं। उनकी तुलना में रावण को राक्षस
, कुरूप, अत्याचारी, आतताई आदि विकृति
के विभिन्न प्रतीक रूपों में प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन क्या यह संभव है कि
समृद्ध
, वैभवपूर्ण विशाल राष्ट्र का अधिनायक केवल दुर्गुणों से भरा
हो
? वह भी ऐसा सम्राट जिसे राज्य सत्ता उत्तराधिकार में न मिली
हो
, बल्कि अपने कौशल, दुस्साहस और
अनवरत संघर्ष से जिसने अपने समकालीन राजाओं को अपदस्थ कर सत्ता हासिल कर उसकी
सीमाओं का लगातार विस्तार किया हो
, ऐसा नरेश सिर्फ
दुराचारी और अविवेकशील नहीं हो सकता
? ऐसे सम्राट की
राजनैतिक व कूटनीतिक चतुराई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आइये जानते हैं रावण ने
मरते वक़्त लक्ष्मण को क्या तीन बातें बतायीं।

जिस समय रावण मरणासन की अवस्था में धरती पर पड़ा हुआ था, राम ने लक्ष्मण
से कहा
, राजनीति शास्त्र
का महान विद्वान इस दुनिया से विदा ले रहा है
, तुम जाकर उस प्रकांड विद्वान से कुछ जीवन की शिक्षा ले लो।
भईया की आज्ञा अनुसार लक्ष्मण रावण के सिर के पास जाकर खड़े हो गए। रावण ने
लक्ष्मण से कुछ नहीं कहा
,
तब लक्ष्मण वापस
भईया राम के पास चले आए। राम ने इसे देखकर कहा
, लक्ष्मण शिक्षा हमेशा गुरु के चरणों के पास ही बैठकर ली
जाती है
, यह सुनकर लक्ष्मण
रावण के पैरों के पास जाकर बैठ गए तब महाज्ञानी तथा प्रकांड विद्वान रावण ने
लक्ष्मण को जीवन की तीन अमूल्य बातें बताई ।
१. पहला उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को सबसे पहली बात यह बताई
कि शुभ कार्य को जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। उसके लिए कभी लंबा इंतजार नहीं
करना चाहिए
, वरना जीवन कब
समाप्त हो जाए किसी को पता नहीं। (क्योकि रावण ने कई शुभ कार्यो को किसी कारण वश
टाल रखा था
, जिसे वह कभी पूरा
नहीं कर पाया।) तथा अशुभ कार्य को जितना टाला जा सके उसे टाल देना चाहिए।

२. दूसरा उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को दुसरा सबसे महत्वपूर्ण
बात बताया कि शत्रु तथा रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए
, छोटे से छोटा रोग
भी प्राण घातक हो सकता है
,
तथा छोटे से छोटा
शत्रु भी सर्वनाश कर सकता है। रावण ने राम
, लक्ष्मण और उनकी वानर सेना को तुक्छ समझा था, और वही रावण के
मृत्यु का कारण बने।

३. तीसरा उपदेश: रावण ने लक्ष्मण को तीसरी ज्ञान की बात यह
बताई कि
, अपने जीवन से
जुड़े राज को यथासंभव गुप्त ही रखना चाहिए। उसे किसी भी व्यक्ति से नहीं बतानी
चाहिए
, चाहे वह अपका
सबसे प्रिय क्यों ना हो। यदि वह रहस्य प्रगट हो गया
, तो उसका जीवन पर बुरा प्रभाव हो सकता है। रावण
के नाभि में अमृत कुंड का रहस्य विभीषण द्वारा प्रगट होने पर ही रावण का वध हुआ।

Monday, 28 September 2020

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित एक बार जरूर सुने। sanskrit shlok for student. Wh...

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Thursday, 9 July 2020

भगवान श्री #कृष्ण और महारथी #कर्ण का संवाद......|| Kaal Chakra



कृष्ण कर्ण संवाद
कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की
है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। कर्ण को एक दानवीर और महान
योद्धा माना जाता है।  पाण्डवों के वनवास
के दौरान
, कर्ण, दुर्योधन को पृथ्वी का सम्राट बनाने का कार्य
अपने हाथों में लेता है। कर्ण द्वारा देशभर में सैन्य अभियान छेड़े गए और उसने
राजाओं को परास्त कर उनसे ये वचन लिए की वह हस्तिनापुर महाराज दुर्योधन के प्रति
निष्ठावान रहेंगे अन्यथा युद्धों में मारे जाएगें। कर्ण सभी लड़ाईयों में सफल रहा।
इतनी प्रतिभा इतना शौर्य होने के बावजूद कारण को महाभारत की कहानी मे बार बार
अपमानित होना पड़ा वो भी सिर्फ इस लिए क्यूँ की उसका लालन पालन एक सूत परिवार मे
हुआ था।
दोस्तों महाभारत मे ये भी
बताया गया है की मरने से पहले कर्ण ने अपने साथ हुए अन्यय के विषय मे भगवान कृष्ण
से प्रश्न पूछे थे। आइये जानते हैं क्या था वह प्रश्न और भगवान कृष्ण ने क्या
उत्तर दिया।  


महाभारत में कर्ण ने भगवान कृष्ण से पूछा- मेरी मां ने मुझे
जन्म दिया था। क्या यह मेरी गलती है कि मैं एक अवैध बच्चा पैदा हुआ था
? मुझे द्रोणाचार्य
से शिक्षा नहीं मिली क्योंकि मुझे क्षत्रिय नहीं माना गया था।परशुराम ने मुझे
सिखाया लेकिन फिर मुझे सबकुछ भूलने का अभिशाप दिया जब उसे पता चला कि मैं क्षत्रिय
कुंती का पुत्र हूँ। एक गाय को गलती से मेरा तीर लग गया और उसके मालिक ने मुझे
मेरी गलती के बिना श्राप दिया। मैं द्रौपदी के स्वयंवर में अपमानित था।यहां तक कि
कुंती ने अंततः अपने अन्य बेटों को बचाने के लिए सच्चाई भी बताया। जो भी मैं
प्राप्त किया दुर्योधन के दान के माध्यम से किया। तो मैं उनका पक्ष लेने में गलत
कैसे हूं!
भगवान कृष्ण ने जवाब दिया, “कर्ण, मेरा जन्म जेल में हुआ था। मृत्यु मेरे जन्म से पहले ही
मेरे लिए इंतज़ार कर रही थी। जिस रात मेरा जन्म हुआ था
, मैं अपने जन्म
देने वाले माता-पिता से अलग हो गया था। बचपन से
, आप तलवारों, रथों, घोड़े, धनुष, और तीर के शोर को सुनकर बड़े हुए ।मुझे केवल गौ के समूह के
गोशाला
, गोबर मिला और
मेरे जीवन पर कई प्रयास किए मेरे स्वयं से चलने से पहले ! कोई सेना नहीं
, कोई शिक्षा नहीं।
मैं सुनता था लोग कहते थे कि मैं उनकी सभी समस्याओं का कारण हूं। जब आप सबको आपके
शिक्षकों द्वारा आपके बहादुरी के लिए आपकी सराहना की जा रही थी
, तो मुझे कोई
शिक्षा भी नहीं मिली थी। मैं 16 साल की उम्र में ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में शामिल
हो गया! मुझे अपने पूरे समुदाय को यमुना के तट से जरासंध से बचाने के लिए बहुत दूर
समुद्र तट पर ले जाना पड़ा। मुझे भागने के लिए रणछोर कहा जाता था। यदि दुर्योधन
युद्ध जीतता है तो आपको बहुत अधिक श्रेय मिलेगा। धर्मराज के युद्ध जीतने पर मुझे
क्या मिलेगा
? युद्ध के लिए
केवल दोष।
कर्ण एक बात याद रखो। सभी को जीवन में चुनौतियां हैं। जीवन
किसी भी तरह से निष्पक्ष और आसान नहीं है। लेकिन सही (धर्म) आपके मन (विवेक) को
जानकारी है।इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें कितना अनुचितता मिली
, कितनी बार हम
अपमानित हुए
, कितनी बार हम
गिरते हैं
, महत्वपूर्ण बात
यह है कि उस समय आप कैसे प्रतिक्रिया किए।
जीवन की अनुचितता आपको गलत रास्ते पर चलने का अधिकार नहीं
देती है। हमेशा याद रखें
,
जीवन कुछ बिंदुओं
पर कठिन हो सकता है
, लेकिन भाग्य
हमारे पहने हुए जूतों द्वारा नहीं बनाया जाता है बल्कि हमारे द्वारा उठाए गए कदमों
द्वारा
…”

Sunday, 24 May 2020

लक्ष्मण और कर्ण मे सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कौन था ?



महाभारत हमें हमारे कर्तव्यों का बोध करता है और रामायण
हमें त्याग की शिक्षा देती है.
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम
, भगवान कृष्ण, सीता, गांधारी, मंदोदरी के जीवन के प्रेरक प्रसंग पारिवारिक सुखी जीवन के लिए शास्वत सत्य हैं. इन ग्रंथों को पढ़ने
वाला हर व्यक्ति जनता है कि पुरुषों में सत्ता का लालच और अहंकार मानवता को युद्ध
की त्रासदी में धकेल देता है. दुर्योधन का अहंकार महाभारत के युद्ध का कारण बना तो
रावण में सत्ता का अहंकार उसकी सोने की लंका को नष्ट होने का कारण बना। दोस्तों आज
हम इस विडियो मे महाभारत और रामायण के दो महान पात्रो की तुलना करेंगे और ये देखने
का प्रयास करेंगे की कौन किससे बेहतर और श्रेष्ठ है । रामायण से भगवान राम के अनुज
लक्ष्मण और महाभारत से सूर्य देव के पुत्र कर्ण कौन अधिक बलशाली है
ये काल चक्र है
भगवान राम को जहां विष्णु का अवतार माना गया है वहीं
लक्ष्मण को शेषावतार कहा जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार शेषनाग के कई
अवतारों का उल्लेख मिलता है जिनमें राम के भाई लक्ष्मण और कृष्ण के भाई बलराम
मुख्य हैं। राम और लक्ष्मण सहित चारों भाइयों के दो गुरु थे- वशिष्ठ
, विश्वामित्र। विश्वामित्र
दण्डकारण्य में यज्ञ कर रहे थे। रावण के द्वारा वहां नियुक्त ताड़का
, सुबाहु और मारीच
जैसे- राक्षस इनके यज्ञ में बार-बार विघ्न उपस्थित कर देते थे। विश्वामित्र अपनी
यज्ञ रक्षा के लिए श्रीराम-लक्ष्मण को महाराज दशरथ से मांगकर ले आए। दोनों भाइयों
ने मिलकर राक्षसों का वध किया और विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा हुई। लक्ष्मण ने
अपने बड़े भाई के लिए चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहकर वैराग्य का आदर्श उदाहरण
प्रस्तुत किया।
रावण जैसे महाप्रतापी राक्षस
भी लक्ष्मण द्वारा खिची गई रेखा को नहीं पार कर पाया । लक्ष्मण की वीरता का अनुमान
इस बात से लगाया जा सकता है की राम रावण युद्ध के मे लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया
था जिसने इंद्रा देव को परास्त किया था और जिसके पास मायावी शक्तियाँ थी।
अब बात करते हैं महाभात से
पांडवो मे सबसे बड़े कर्ण की
, दुर्वासा
ऋषि के वरदान से कुंती ने सूर्य का आह्वान करके कौमार्य में ही कर्ण को जन्म दिया
था। लोक-लाज भय से कुंती ने उसे नदी में बहा दिया था।  कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को महाभारत का एक
महत्वपूर्ण योद्धा माना जाता है। कर्ण की शक्ति अर्जुन और दुर्योधन से कम नहीं थी।
उसके पास इंद्र द्वारा दिया गया अमोघास्त्र था। इस अमोघास्त्र का प्रयोग उसने
दुर्योधन के कहने पर भीम पुत्र घटोत्कच पर किया था इसके प्रयोग से भीम पुत्र
घटोत्कच मारा गया था।
कर्ण धनुर्विद्या में अत्यधिक
प्रवीण है। वह अपने समय का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी है
, जिसके सामने अर्जुन को भी टिकना मुश्किल
लगता है। इसलिए इंद्र देवता ने अर्जुन की रक्षा के लिए कर्ण से ब्राह्मण वेश
धारणकर कवच-कुंडल मांग लिए। कर्ण उच्च स्तर के संस्कारों से युक्त है। वह नैतिकता
को अपने जीवन में विशेष महत्व देता है। इसी नैतिकता के कारण वह द्रौपदी के अपहरण
संबंधी दुर्योधन के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है।
कर्ण अपने समय का सर्वश्रेष्ठ
दानवीर था। उसकी दानवीरता अद्वितीय है। युद्ध में अर्जुन की विजय को सुनिश्चित
करने के लिए इंद्र ने कवच-कुंडल मांगे। सारी वस्तु-स्थिति को समझते हुए भी कर्ण ने
इसका दान दे दिया। इतना ही नहीं युद्धभूमि में मृत्यु शैया पर पड़े कर्ण ने श्री
कृष्ण द्वारा ब्राह्मण वेश में सोना दान में मांगने पर कर्ण ने अपने सोने का दांत
उखाड़ कर दे दिया। रामायण के लक्ष्मण एवं महाभारत के कर्ण के बीच वैयक्तिक् तौर
तुलना नही किया जा सकता
, क्योंकि वे
संकालिन नही थे। फिर भी अगर दोनो द्वारा अपने जीवन मे किये गए युद्धों पर
दृष्टिपात करने पर पता चलता है की लक्ष्मण जी अपने युद्धों मे अपने लक्ष्य का बेधन
करने मे सफल रहे
, जबकि कर्ण
असफल रहे। आप इस दुनिया मे क्या कर सकते हैं
, इनसे ज्यादा महत्व यह रखता है कि आप क्या करने मे सफल रहे। स्पष्टः
लक्षमण जी ज्यादा श्रेष्ठ सिद्ध होते हैं।

Thursday, 7 May 2020

क्या ये कलयुग के अंत का संकेत है ?? When and How will Kaliyuga End?



सावधान! कलयुग चरम पर है, बचना है तो जान
लें पुराणों की भविष्‍यवाणी
कलयुग किसी गलती से नहीं आया, कलयुग अपने समय पर विधि के विधान अनुसार ही
उपस्थित हुआ है . राजा परीक्षित न होता तो कोई और होता परंतु कलयुग को तो आना ही
था और जिस तरह कलयुग आया उसी प्रकार इसे जाना भी है.यह अटल सत्य है.
जब-जब धर्म की हानि होती है, ईश्वर अवतार लेकर
अधर्म का अंत करते हैं। हिन्दू धर्म में इस संदेश के साथ अलग-अलग युगों में जगत को
दु:ख और भय से मुक्त करने वाले ईश्वर के कई अवतारों के पौराणिक प्रसंग हैं। दरअसल
, इनमें सच्चाई और
अच्छे कामों को अपनाने के भी कई सबक हैं। साथ ही इनके जरिए युग के बदलाव के साथ
प्राणियों के कर्म
, विचार व व्यवहार में अधर्म और पापकर्मों के
बढ़ने के भी संकेत दिए गए हैं।
आइए जानते हैं किस पुराण मे कलयुग के विषय मे क्या
भविष्यवाणी की गई है...
ये काल चक्र है
श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण इन दोनों में कलियुग के अंत का विस्तार से वर्णन मिलता
है। कलियुग में भगवान विष्णु का कल्कि रूप में अवतार होगा
, जो पापियों का
संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे। कल्कि धर्म की रक्षा कर सबको धर्म पथ
पर डालेगें । कलियुग के अंत में संसार में अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली-मांस ही
खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। एक समय ऐसा आएगा
, जब जमीन से अन्न
उपजना बंद हो जाएगा। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद
कर देगी।
मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी। 16 वर्ष में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु
को प्रा‍प्त हो जाएंगे। इंसान का शरीर घटकर बोना हो जाएगा।

 ब्रह्मवैवर्त पुराण
में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह
जाएगी
, युवावस्था समाप्त
हो जाएगी। कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे
, क्षीण और
रोगग्रस्त होने लगेंगे।
श्रीमद्भागवत के द्वादश स्कंध में कलयुग के धर्म के अंतर्गत
श्रीशुकदेवजी परीक्षितजी से कहते हैं
, ज्यों-ज्यों घोर
कलयुग आता जाएगा
, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति
का लोप होता जाएगा।  कलयुग के अंत में जिस
समय कल्कि अवतार अव‍तरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी।
जिस समय कल्कि अवतार धर्म-कर्म का लोप हो 
जाएगा। मनुष्य जपरहित नास्तिक हो जाएंगे। सभी एक-दूसरे को लूटने में
रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा।
मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा।
जुआ
, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा। ब्रह्मचारी
लोग वेदों में कहे गए व्रत का पालन किए बिना ही वेदाध्यापन करेंगे। गृहस्थ पुरुष न
तो हवन करेंगे न ही सत्पात्र को उचित दान देंगे। कलियुग का वर्णन करते हुए
श्रीकृषण कहते हैं कि कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा
, जो दोनों ओर से
शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही
लोगों का राज्य होगा। इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे
, जो बड़े ज्ञानी
और ध्यानी कहलाएंगे। वे ज्ञान की चर्चा तो करेंगे
, लेकिन उनके आचरण
राक्षसी होंगे। बड़े विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य
मरे और हमारे नाम से संपत्ति या पद कर जाए कलियुग का मनुष्य शिशुपाल हो जाएगा।
कलियुग में बालकों के लिए ममता के कारण इतना करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर
ही नहीं मिलेगा। मोह-माया में ही घर बर्बाद हो जाएगा। किसी का बेटा घर छोड़कर साधु
बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे
, किंतु यदि अपना
बेटा साधु बनता होगा तो रोएंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा
? इतनी सारी ममता
होगी कि उसे मोह-माया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो
जाएगा।
दोस्तों ये थी कलयुग के विषय
मे वो बातें जो हमे पुरानो के माध्यम से पता चलती हैं। कलयुग के विषय मे कोई अन्य
जानकारी जो आप हमसे संझन करना चाहते हैं तो हमे कमेंट बॉक्स मे लिखें।  

कलयुग में नारायणी सेना की वापसी संभव है ? The Untold Story of Krishna’s ...

क्या महाभारत युद्ध में नारायणी सेना का अंत हो गया ... ? या फिर आज भी वो कहीं अस्तित्व में है ... ? नारायणी सेना — वो ...