हिन्दू धर्म के सबसे शक्तिशाली अस्त्र
सभी
भगवान अपने भक्तों के बीच सद्भाव और शांति का प्रचार करते हैं। लेकिन हिंदू धर्म
में सभी देवताओं को अस्त्र-शस्त्रों के साथ दर्शाया गया है। हिंदू धर्म में भगवान
के शक्तिशाली हथियार घातक ब्रह्मास्त्र ओर त्रिशूल से लेकर शक्तिशाली सुदर्शन चक्र
तक हैं। हिन्दू देवताओं के हर अवतार की आवश्यकता दुनिया में अच्छाई को पुनर्जीवित
करने की है। समय-समय पर ऐसी बुरी ताकतें रही हैं, जिन्होंने लोगों की आजीविका को खतरा दिया है। दोस्तों चलिए आपको हिन्दू पौराणिक
कथाओं में प्रयोग किए जाने वाले अस्त्रों के बारे में बताते हैं और साथ ही आपको ये
भी बताते हैं कि कौन सा अस्त्र किस देवता द्वारा संचालित है? उस अस्त्र का प्रभाव कितना भयानक हो
सकता है? और
उसका तोड़ क्या है?
ये
काल चक्र है इस काल चक्र मे मै आप सब का अभिनंदन करता हूँ।
1. ब्रह्मास्त्र : ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित एक बहुत ही शक्तिशाली और संहारक अस्त्र है। एक बार इसके
चलने पर विपक्षी प्रतिद्वन्दी के साथ साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो जाता
है और उस जगह 12 से
अधिक वर्षों तक अकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकरा
दिए जाएं तब तो मानो प्रलय ही आ जाएगा इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो जाएगा। इस
अस्त्र का काट किसी के भी पास नहीं था।
2. पाशुपतास्त्र : पशुपतस्त का
सृजनकर्ता भगवान शिव को माना जाता है। यह अत्यंत विध्वंसक है और इसके प्रहार से
बचना नामुमकिन है। यह अस्त्र भगवान शिव, माता काली और आदि परा शक्ति का हथियार
है, जिसे
मन, आँख, शब्द या धनुष से छोड़ा जा सकता है। यह
ब्रह्मास्त्र द्वारा रोका जा सकता है। यह बाण महाभारतकाल में केवल अर्जुन के पास
था।
3. नारायणास्त्र : भगवान विष्णु द्वारा निर्मित वैष्णव
नारायणास्त्र, पाशुपतास्त्र
के समान विकराल अस्त्र है। इस बाण से शत्रु किसी भी सूरत मे बच नहीं सकता क्यूँ की
यह शत्रु की मौत तक उसका पीछा करती है। इसका केवल एक ही प्रतिकार है और वह यह है
कि शत्रु अस्त्र छोड़कर नम्रतापूर्वक अपने को अर्पित कर दे, इस बाण के सामने झुक जाने पर यह अपना
प्रभाव नहीं करता है।
4. सुदर्शन चक्र : यह अस्त्र के रूप मे
प्रयोग किया जाने वाला एक चक्र है जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य के टुकड़े कर वापस आ
जाता है। सुदर्शन चक्र को विष्णु ने उनके कृष्ण के अवतार में धारण किया था।
श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक राक्षसों का वध किया था। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु
का अमोघ अस्त्र है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि इस चक्र ने देवताओं की रक्षा
तथा राक्षसों के संहार में अतुलनीय भूमिका का निर्वाह किया था।
वज्र : यह देवराज इंद्र के मुख्य अस्त्र
है। ऋग्वेद में उल्लेख है कि दधीचि ऋषि की हड्डीयों से देवराज इंद्र ने यह अस्त्र
बनाया था और अनेकों राक्षसों का विध्वंस किया। वज्र अस्त्र ये दो प्रकार का होता
है:- कुलिश वज्र एवम अशानि वज्र इसके ऊपर के तीन भाग तिरछे-टेढ़े बने होते हैं।
बीच का हिस्सा पतला होता है पर हाथ बड़ा वज़नदार होता है।
भार्गवास्त्र
यह
परशुराम का अस्त्र माना गया है जिसे कर्ण ने प्राप्त किया| यह इन्द्रास्त्र से भी ज़्यादा
शक्तिशाली है| इसके प्रभाव से पूरी सृष्टि का नाश हो
सकता है| महाभारत के युद्ध में जब कर्ण ने इस
अस्त्र का प्रयोग किया तब अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र से इसे विफ़ल किया था|
त्रिशूल
त्रिशूल
का सीधे शब्दों में अर्थ है तीन शूल| यह
भगवन शिव और माता शक्ति का अस्त्र है| यह
अस्त्र सभी अस्त्रों से ऊपर माना गया है| भगवान शिव के आलावा कोई और इस अस्त्र
काबू नहीं क्र सकता| इस अस्त्र के उपयोग से भगवन शिव ने कई
असुरों का संहार किया है
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