Monday, 8 March 2021

महाभारत युद्ध मे क्या इन देवताओं की भूमिका श्री कृष्ण से भी बड़ी थी ??

श्री कृष्ण के अलावा ये देवता भी बने थे हिस्सा महाभारत युद्ध का

भले आपके साथ भगवान है किंतु बाण आपको ही चलाना पड़ेगा! महाभारत के भीषण युद्ध में अर्जुन के साथ स्वयं परब्रह्म परमात्मा श्री कृष्ण थे। श्री कृष्ण वो तत्त्व है जिनके चरणकमलों से करोड़ो करोड़ो ब्रह्मांड क्षण क्षण में उत्पन्न होते है और विलय होते है। जब बर्बरीक ने दो क्षण में समस्त कौरव सेना नष्ट करने का प्रमाण दिखा दिया था, तो स्वयं भगवान के लिए शत्रु सेना का एक क्षण में नाश कर देना क्या बड़ी बात थी! किन्तु उन भगवान ने अर्जुन का युद्ध मे साथ देने के लिए क्या शर्त रखी:

"अर्जुन! मैं तो निहत्था और अकेला ही आऊंगा तुम्हारे साथ। और हाँ इस युद्ध में एक बार भी मैं स्वयं शस्त्र नहीं उठाऊँगा। युद्ध तुम्हे ही करना है।"

तो महाभारत को जीतने के लिए अर्जुन को गांडीव धनुष पर हजारो  बाण चढ़ाकर उनसे असंख्य शत्रु सेना का संहार करना पड़ा दोस्तों इस बात से केवल कुछ लोग ही अवगत हैं कि श्री कृष्ण के अलावा दूसरे देवताओं ने भी महाभारत के युद्ध में भूमिका निभाई थी| आइए जानते हैं किस देवता ने कब महाभारत युद्ध मे अपना योगदान दिया था।

महाभारत के युद्ध में देवताओं की संतानों ने भाग लिया था| इसलिए देवताओं को भी युद्ध लड़ने के लिए धरती पर आना पड़ा| इस युद्ध में भाग लेने वाले देवताओं में सबसे पहला नाम सूर्य देव का आता है| क्योंकि कर्ण सूर्य देव के पुत्र थे जो कुंती को विवाह से पूर्व वरदान के रूप में मिले थे| युद्ध के समय सूर्य देव कर्ण के पास आये और उन्हें इंद्र द्वारा किये जाने वाले छल के बारे में बताया और कहा कि यदि इंद्र उनसे कवच और कुंडल मांगने आएं तो यह उन्हें मत देना| इससे तुम्हारे प्राण बचे रहेंगे|

इंद्र ने भी महाभारत युद्ध में भूमिका निभाई थी| अर्जुन इंद्र के पुत्र थे| इसलिए इंद्र अपने पुत्र अर्जुन के लिए इस युद्ध का हिस्सा बने| इंद्र ने श्री कृष्ण से वचन लिया था कि वह सदैव अर्जुन की रक्षा करेंगे| इंद्र ने अपने पुत्र अर्जुन को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए देवताओं के सारे द‌िव्यास्‍त्र द‌िए तथा उन्होंने अर्जुन की रक्षा करने के लिए कर्ण से छल करके उनका सुरक्षा कवच भी दान में मांग ल‌िया|

महाभारत के युद्ध में भगवान शिव ने भी अपनी एक भूमिका निभाई थी| महाभारत में व‌िष्‍णु जी के अवतार श्री कृष्‍ण ने पूरे युद्ध का संचालन क‌िया तो भगवान भोलेनाथ भला व‌िष्‍णु जी की सहायता करने में कैसे पीछे हट सकते थे| श्री कृष्‍ण के कहने पर अर्जुन ने भगवान श‌िव की तपस्या की और क‌िरात वेष में भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए और अर्जुन को पशुपतास्‍त्र भेंट क‌िया| इस अस्‍त्र के कारण अर्जुन के ल‌िए स्वर्ग के द्वार खुल गए जहां से अर्जुन सारे द‌िव्यास्‍त्र पाने में कामयाब हुआ|

महाभारत युद्ध के अंत में ब्रह्मा जी को भी युद्ध में भाग लेना पड़ा| यह घटना तब हुई जब अश्वत्‍थामा और अर्जुन दोनों ने ब्रह्मास्‍त्र का प्रयोग क‌िया| ऐसे में सृष्ट‌ि की रक्षा के ल‌िए ब्रह्मा ने ब्रह्मास्‍त्र को वापस लेने के ल‌िए कहा। अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्‍त्र वापस ले ल‌िया लेक‌िन अश्वत्‍था ऐसा नहीं कर पाए और अर्जुन की पुत्रवधू उत्तरा के गर्भ में पल रहे परीक्ष‌ित को इसका न‌िशाना बनाया|

 

 

No comments:

Post a Comment

कलयुग में नारायणी सेना की वापसी संभव है ? The Untold Story of Krishna’s ...

क्या महाभारत युद्ध में नारायणी सेना का अंत हो गया ... ? या फिर आज भी वो कहीं अस्तित्व में है ... ? नारायणी सेना — वो ...