बिरबल
की मृत्यु
की मृत्यु
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है
और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति
से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। इसी इतिहास मे एक पात्र ऐसा था जिसके चतुरता का कोई
तोड़ न था। हम बात कर रहे हैं राजा अकबर के सखा बीरबल की, भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति
होगा जिसने अकबर बीरबल के किस्से न पढ़े हों | अपने चातुर्य
और बुद्धिबल से अकबर के नवरत्नों में सबसे प्रमुख स्थान रखने वाले बीरबल का
सम्पूर्ण जीवन उतार और चढ़ाव की लोमहर्षक कहानी है। अकबर ने उनकी बुद्धिमत्ता से
प्रसन्न होकर कविराय तथा बीरवर की उपाधि दी थी, जो कालान्तर
में अपभ्रंश होकर बीरबल में परिवर्तित हो गई | दोस्तों
अपने अकबर बिर्बाल की अनेकों कहानियाँ सुनि होंगी आज इस वीडियो में हम बात करेंगे
बीरबल के मृत्यु की कैसे और कब हुई बीरबल की मृत्यु किसने मारा बीरबल को ??
और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति
से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। इसी इतिहास मे एक पात्र ऐसा था जिसके चतुरता का कोई
तोड़ न था। हम बात कर रहे हैं राजा अकबर के सखा बीरबल की, भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति
होगा जिसने अकबर बीरबल के किस्से न पढ़े हों | अपने चातुर्य
और बुद्धिबल से अकबर के नवरत्नों में सबसे प्रमुख स्थान रखने वाले बीरबल का
सम्पूर्ण जीवन उतार और चढ़ाव की लोमहर्षक कहानी है। अकबर ने उनकी बुद्धिमत्ता से
प्रसन्न होकर कविराय तथा बीरवर की उपाधि दी थी, जो कालान्तर
में अपभ्रंश होकर बीरबल में परिवर्तित हो गई | दोस्तों
अपने अकबर बिर्बाल की अनेकों कहानियाँ सुनि होंगी आज इस वीडियो में हम बात करेंगे
बीरबल के मृत्यु की कैसे और कब हुई बीरबल की मृत्यु किसने मारा बीरबल को ??
ये काल चक्र है...
बुद्धिमान, हाज़िर जवाब और लोगों को लाजवाब कर
देने वाले शहंशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल का नाम महेश दास था और वो मध्य
प्रदेश के सिधी जिले के घोघरा में पैदा हुए थे. दिन, महीने और साल दर साल बीतते चले गए
मगर आज भी मध्य प्रदेश के सिधी जिले में सोन नदी के पार बसा घोघरा कमोबेश वैसा ही
है जैसा कई सौ साल पहले हुआ करता था. कहा जाता है कि
घोघरा गांव में ही बीरबल के पिता गंगादास का घर हुआ करता था और यहीं उनकी माता
अनाभा देवी नें वर्ष 1528 में
रघुबर और महेश नाम के जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. घोघरा गांव सालों से उपेक्षित
ही रहा और इसके साथ-साथ उपेक्षित रहे बीरबल की पीढ़ी के लोग.
देने वाले शहंशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल का नाम महेश दास था और वो मध्य
प्रदेश के सिधी जिले के घोघरा में पैदा हुए थे. दिन, महीने और साल दर साल बीतते चले गए
मगर आज भी मध्य प्रदेश के सिधी जिले में सोन नदी के पार बसा घोघरा कमोबेश वैसा ही
है जैसा कई सौ साल पहले हुआ करता था. कहा जाता है कि
घोघरा गांव में ही बीरबल के पिता गंगादास का घर हुआ करता था और यहीं उनकी माता
अनाभा देवी नें वर्ष 1528 में
रघुबर और महेश नाम के जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. घोघरा गांव सालों से उपेक्षित
ही रहा और इसके साथ-साथ उपेक्षित रहे बीरबल की पीढ़ी के लोग.
दोस्तों अफगानिस्तान
के यूसुफ़जई कबीले ने मुग़ल सल्तनत के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया | उसके दमन के लिए जो जैन ख़ाँ कोका
के नेतृत्व में पहला सैन्य दल भेजा गया | लड़ते लड़ते वह सैन्य
दल थक गया तो बीरबल के नेतृत्व में दूसरा दल वहां भेजा गया | बुद्धि कौशल के महारथी को सैन्य अभियानों का कोई अधिक अनुभव नहीं था |
सिवाय इसके कि वे सदैव सैन्य अभियानों में भी अकबर के साथ रहते थे |
पूर्व के सेनापति कोका को एक हिन्दू के साथ साथ अभियान करना कतई
गवारा नहीं हुआ | पारस्परिक मनोमालिन्य के चलते स्वात वैली
में 8000 सैनिकों के साथ अकबर के सखा बीरबल खेत रहे |
इतना ही नहीं तो अंतिम संस्कार के लिए उनका शव भी नहीं मिला| किसी ने सोचा भी नहीं था की इतने बुद्धिमान व्यक्ति का अंत इसप्रकार होगा
ये भी कहा जाता है की बीरबल की मृत्यु के बाद राजा अकबर शोक मे डूब गए थे और कई
दिनो तक अन्न का त्याग कर दिया था।
के यूसुफ़जई कबीले ने मुग़ल सल्तनत के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया | उसके दमन के लिए जो जैन ख़ाँ कोका
के नेतृत्व में पहला सैन्य दल भेजा गया | लड़ते लड़ते वह सैन्य
दल थक गया तो बीरबल के नेतृत्व में दूसरा दल वहां भेजा गया | बुद्धि कौशल के महारथी को सैन्य अभियानों का कोई अधिक अनुभव नहीं था |
सिवाय इसके कि वे सदैव सैन्य अभियानों में भी अकबर के साथ रहते थे |
पूर्व के सेनापति कोका को एक हिन्दू के साथ साथ अभियान करना कतई
गवारा नहीं हुआ | पारस्परिक मनोमालिन्य के चलते स्वात वैली
में 8000 सैनिकों के साथ अकबर के सखा बीरबल खेत रहे |
इतना ही नहीं तो अंतिम संस्कार के लिए उनका शव भी नहीं मिला| किसी ने सोचा भी नहीं था की इतने बुद्धिमान व्यक्ति का अंत इसप्रकार होगा
ये भी कहा जाता है की बीरबल की मृत्यु के बाद राजा अकबर शोक मे डूब गए थे और कई
दिनो तक अन्न का त्याग कर दिया था।
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