Sunday, 30 September 2018

क्या सच मे ‘खलनायक’ था रावण, ये विडियो आपकी धारण बदल सकता है। Kaal Chakra



क्या वाकईखलनायकथा रावण, ये विडियो आपकी धारण बदल सकता है
शिव भक्त होने के बावजूद बेहद अभिमानी और आत्मप्रशंसक रावण
ने विवेकशून्य होकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पत्नी सीता का हरण किया। रावण
के इसी कुकृत्य की वजह से उसका अंत सुनिश्चित हुआ। रावण के चरित का अवलोकन करे तो
वह उद्भ
राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी
योद्धा
, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता ,प्रकान्ड विद्वान
पंडित महाज्ञानी और महान शिव भक्त था. रावण के वंश को देखे तो वह सारस्वत ब्राह्मण
पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र था.
जब भी रावण का नाम हमारे सामने आता है, तो हमारे जहन में पूरी तरह नकारात्मक छवि उभरकर आती है. हम पौराणिक रावण
को सिर्फ और सिर्फ खलनायक के तौर पर ही जानता है
. लेकिन क्या
वाकई रावण एक खलनायक था
? क्या वाकई हमारा इतिहास उसे जिस रूप
में जानता
रावणवैसा ही था। इस विडियो
में हम आपको रावण के चरित्र की वो बातें बताएंगे जो आपकी मानसिकता के विपरीत जाकर सोचने
के लिए विवश कर सकता है।
  ye kaal
chakra hai . लंकाधिपति रावण अपूर्ण इच्छाएँ ::
1.  रावण चाहता था कि समुद्र का पानी खारे की स्थान पर मीठा हो जाए।
समुद्र का पानी पीने योग्य नहीं होता और ना ही वह खेती के काम आता था। इसलिए उसकी यह
हार्दिक इच्छा थी कि समुद्र का पानी मीठा हो जाए ताकि पीने की पानी की कमी न हो।
2.  रावण अपनी प्रजा और सामान्य जन के लिए हमेशा चिंतित रहता था।
उसने बाड़ और सूखे से बरबाद होते लोग देखे थे। वह चाहता था कि बारिश कब और कितनी हो
, इसका सारा नियंत्रण आम जन के हाथ में होना चाहिए।
रावण चाहता था कि आम जन का इन्द्र देवता के साथ सीधा संपर्क होना चाहिए।
3.  रावण चाहता था कि सोने जैसी बह्मूल्य धातु में सुगंध होनी चाहिए, ताकि आम जन उस स्गंध को पहचान सके और सोने जैसी
बह्मूल्य धातु उनके हाथ लग जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपनी प्रजा को निर्धनता से मुक्ति
दिलवाना चाहता था।
4.  रावण चाहता था कि स्वर्ग पर सिर्फ देवताओं का कब्जा नहीं होना
चाहिए। वह आम जन के लिए भी स्वर्ग के दरवाजे खोलना चाहता था। रावण की चाहत थी कि सामान्य
व्यक्ति भी स्वर्ग तक पहुंच सके
, जिसके लिए
वह एक सीढ़ी का निर्माण करना चाहता था।
5.  रावण बेहद काले वर्ण का था, उसे कई बार इस वजह से अपमानित भी होना पड़ा। वह चाहता था कि धरती पर रहने वाले
हर व्यक्ति का रंग एक ही होना चाहिए
, कोई काला या गोरा ना हो,
ताकि कभी किसी को कभी शर्मिअंदा ना होना पड़े।

क्षमा शस्त्रं करे यस्य
दुर्जन: किं करिष्यति ।
अतॄणे पतितो वन्हि:
स्वयमेवोपशाम्यति ॥

क्षमारूपी शस्त्र जिसके हाथ
में हो
,
उसे दुर्जन क्या कर सकता है ? अग्नि , जब
किसी जगह पर गिरता है जहाँ घास न हो
, अपने आप बुझ जाता है ।
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