Wednesday, 19 May 2021

भारतीय पौराणिक इतिहास का सबसे बड़ा खलनायक कौन था ? Most sinful person of ...

सबसे बड़ा पापी कौन था

पौराणिक कथाओं मे खलनायक ताकत और अभिमान के मद मे अपनी सीमाओं का उलग्ङ्घन बेहिसाब करते नजर आते हैं कहते हैं एक या दो पापों का संभवतः प्र्यश्चित भी होता हो लेकिन तब क्या किया जाए जब खलनायकों द्वारा बेहिसाब पाप हो रहा हो जब जब उनका पाप का घड़ा भर जाता है ईश्वर अवतार लेकर उनका वध करते हैं और इस पृथ्वी का संतुलन पुनः स्थापित करते हैं। दोस्तों आज इस विडियो मे तीन  पौराणिक पत्रों के पापों की गणना करेंगे अपने सम्पूर्ण जीवन काल मे उन्होने क्या क्या कुकर्मों को अंजाम दिया है इस पर दृष्टि डालेंगे और ये समझने का प्रयास करेंगे की भारतिए पौराणिक इतिहास का सबसे पापी पत्र कौन था।

लंकाधिपति रावण की जीवन गाथा

लंकाधिपति रावण के अधर्म की पराकाष्ठा पर तब हो गई जब उसने भगवान राम पत्नी सीता का हरण किया इस पाप के कारण ही समूची लंका और राक्षस कुल का सम्पूर्ण नाश हो गया यह उसका एकलौता पाप नही था इसके पहले उसने तमाम कुकर्मों को अंजाम दिया था एक प्रसंग आता है, जिसके अनसार महाशितशाल होने और सीता का हरण करने के बावजदू रावण ने सीता के साथ

जबरदसती करने का प्रयन नहीं करता है . ऐसा अनायास नहीं हुआ था, बल्कि इसके साथ एक प्रसंग जड़ा हुआ है. तब विश्व विजय अभियान पर निकाला रावण स्वर्गलोक पहुंचा था वहाँ जा कर वह रंभा नमक अप्सरा पर मोहित हो गया। रावण उसके समक्ष अपना प्रेम प्रस्ताव रखता है लेकिन रंभा ने यह कहकर इंकार कर दिया की वह नलकुबेर की पत्नी है लेकिन रावण नहीं मानता है वह रंभा के साथ जबदसती करने का प्रयास करता है यह सब देखकर नलकुबेर उसे शार्प देते हैं आज के बाद अगर तुमने किसी और के साथ जबदसती करने का प्रयास किया तो तुम्हारा मस्तक फट जाएगा

दोस्तों इसके घटना के पूर्व ऐसा ही एक घटना का वर्णन रावण संहिता मे मिलता है एक जब रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था तब उसकी नजर वन मे ताप कर रही एक तपस्विनी पर पड़ी वह उसे देखकर मोहित हो अहंकार के मद मे चूर रावण ने उस तपस्वी के बलों को खिच कर अपने पुसपक विमान मे बैठने का प्रयत्न करने लगा तपस्विनी भगवान विष्णु की अनन्य भक्त थी उसने ने कैसे भी कर के उससे दूर जा कर अपने प्राण दे दिये लेकिन जाते जाते उसने रावण को शार्प दिया की तुम्हारी मृत्यु एक स्त्री के कारण ही होगी ।

दुर्योधन की जीवन गाथा

कौरवों में दुर्योधन के बारे में कहा जाता है कि जब 100 कुटील और दुष्ट मनुष्यों की मृत्यु हुई होगी, तो महापापी दुर्योधन का जन्म हुआ होगा दुर्योधन के पापों की प्रकष्ठा तब पर हुई जब उसने महारानी द्रौपदी के चीर हरण का आदेश दिया एक स्त्री के एसटीएच इस तरह का वावहार करने वालों को इतिहास कभी माफ नही कर सकता है।

परंतु इसके पूर्व भी दुर्योधन ने कई पाप किए उसने एक लाक्षागृह मे सभी पांडवों को एक साथ मरने की कोशिश की बचपन मे उसने भीम को जहर देकर नदी मे फेंक दिया था इनसब के साथ उसने महाभारत युद्ध मे अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को सबके साथ मिलकर मारा था ।

हिरण्यकशयप

हिरण्यकश्यप को वरदान था कि वह न तो दिन में मरेगा या रात में, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मनुष्य से मरेगा, न पशु से, न घर के भीतर मरेगा और न बाहर। ऐसी विचित्र और कठिन शर्तों के साथ मिला वरदान उसके लिए अभिशाप बन गया, क्योंकि वरदान के साथ उसने भगवान से विवेक नहीं मांगा। यह वरदान प्राप्त कर हिरण्यकश्यपू को यह भ्रम हो गया की वह अब अमर हो गया है अपनी अमरता के उन्मद मे एसबी पर अनेकों अत्याचार करने शुरू कर दिये। जहां भी भगवान विष्णु की पुजा होई रही होती वह वहाँ अतिचार करता ऋषि मुनियों को मरने लगा वह चाहता था की सब लोग उसे ही अपना भगवान माने और उसकी पुजा करे। जिसके दिल में महिलाओं के प्रति सम्मान नहीं था, बालक का उत्पीड़न करना उसे खुशी देता था, प्रजा जिससे परेशान थी, जिसके कान सिर्फ अपनी प्रशंसा सुनने के आदी थे और अपने खिलाफ उठने वाला हर हाथ वह कुचल देता था। ऐसे व्यक्ति का अंत बहुत भयंकर होता है और हिरण्यकश्यप के साथ भी वही हुआ। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर उस राक्षस का अंत किया।

इन सभी राक्षसों को देखने के बाद यही पता चलता है की सबसे बड़ा पापी वही है जिसकी मूर्ति हम हर दशहरे के दिन जलते हैं लंक्ध्पती रावण

 

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