देव,
महादेव,
स्वयंभू पशुपति,
नीलकंठ,
भगवान आशुतोष,
शंकर भोले भंडारी को सहस्त्रों नामों से पुजा जाता है। श्री अमरनाथ धाम एक ऐसा शिव धाम है
जिसके संबंध में मान्यता है कि भगवान शिव साक्षात श्री अमरनाथ गुफा में विराजमान
रहते हैं। धार्मिक व ऐतिहासिक दृष्टी से अति महत्वपूर्ण श्री अमरनाथ यात्रा हम
सब के लिए स्वर्ग
की प्राप्ति का माध्यम है। पावन गुफा में बर्फीली बूंदों से बनने वाला
हिमशिवलिंग ऐसा दैवी चमत्कार है जिसे देखने के लिए हर कोई उत्साहित
रहता है और जो देख लेता है वो धन्य हो
जाता है। कश्मीर घाटी में स्थित पावन श्री अमरनाथ गुफा एक प्राकृतिक गुफा है। इस गुफा की लंबाई
लगभग 160 फुट, और चौडाइ
लगभग 100 फुट है। आज
इस विडियो मे हम आपको अमरनाथ गुफा मे शिव जी के पधारने का कारण बताएँगे, साथ ही ये जनेएंगे की यहाँ निवाश कर रहे उन कबूतरों के जोड़ो का क्या
रहस्य है?
ये काल चक्र है इस काल चक्र मे मै आप सब का अभिनंदन
करता हूँ मै आशा करता हूँ की आप इस विडियो को पूरा देखने के बाद हमारे इस चैनल को subscribe
जरूर करेंगे और youtube के bell icon को बजाना न भूले हमरे latest अपडेट के लिए। आइए
सुनते हैं अमरनाथ की अमर गाथा।
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सुनते हैं अमरनाथ की अमर गाथा।
बात उस समय की है एक बार जब माता पार्वती ने देवों
के देव महादेव से पूछा— ऐसा क्यों है की आप आजर हैं अमर हैं? आपके कंठ में पडी़ नरमुंड माला और अमर होने के रहस्य क्या हैं?
के देव महादेव से पूछा— ऐसा क्यों है की आप आजर हैं अमर हैं? आपके कंठ में पडी़ नरमुंड माला और अमर होने के रहस्य क्या हैं?
इसपर महादेव ने पहले तो माता पार्वती को उन सवालों
का जवाब देना उचित नहीं समझा । इसलिए उन्होने उस बात को टालने की कोशिश की परंतु
माता पार्वती के हठ के कारण शिव जी ने उन्हे अमरता के इस गूढ रहश्य को बताना
स्वीकार किया।
का जवाब देना उचित नहीं समझा । इसलिए उन्होने उस बात को टालने की कोशिश की परंतु
माता पार्वती के हठ के कारण शिव जी ने उन्हे अमरता के इस गूढ रहश्य को बताना
स्वीकार किया।
इस रहस्य को बताने के लिए भगवान शिव को एक अत्यंत
एकांत जगह की आवश्यकता थी। और इसी जगह की तलाश करते हुए वो माता पार्वती को लेकर
आगे बढ़ते गए। गुप्त स्थान की तलाश में महादेव ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले
छोड़ा,
नंदी जिस जगह पर छूटा, उसे ही पहलगाम कहा जाने
लगा। अमरनाथ यात्रा यहीं से शुरू होती है।
एकांत जगह की आवश्यकता थी। और इसी जगह की तलाश करते हुए वो माता पार्वती को लेकर
आगे बढ़ते गए। गुप्त स्थान की तलाश में महादेव ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले
छोड़ा,
नंदी जिस जगह पर छूटा, उसे ही पहलगाम कहा जाने
लगा। अमरनाथ यात्रा यहीं से शुरू होती है।
यहां से थोडा़ आगे चलने पर शिवजी ने अपनी जटाओं से
चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनवाडी
कहलाती है। इसके बाद गंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़
दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अमरनाथ यात्रा
में पहलगाम के बाद अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि
इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा।
चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनवाडी
कहलाती है। इसके बाद गंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़
दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अमरनाथ यात्रा
में पहलगाम के बाद अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि
इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा।
जीवांदायिनी पांचों तत्वों को पीछे छोड़ने के बाद
भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ उस
पवित्र गुफा मे प्रवेश लिया। कोर्इ भी तीसरा प्राणी, यानी कोई
व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इस
कारण भगवान शिव ने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के उस गूढ़
रहस्यों की कथा शुरू कर दी।
भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ उस
पवित्र गुफा मे प्रवेश लिया। कोर्इ भी तीसरा प्राणी, यानी कोई
व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इस
कारण भगवान शिव ने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के उस गूढ़
रहस्यों की कथा शुरू कर दी।
मान्यता है की कथा सुनते सुनते देवी पार्वती को
नींद आ गई, वो सो गईं, महादेव को पता
ही नहीं चला और वो कथा सुनते रहे। उस समय वो कथा दो सफ़ेद कबूतर सुन रहे थे और बीच
बीच मे गूं गूं की आवाज निकाल रहे थे जिससे महादेव को लगा की माता पार्वती उनकी
कथा सुन रही हैं।
नींद आ गई, वो सो गईं, महादेव को पता
ही नहीं चला और वो कथा सुनते रहे। उस समय वो कथा दो सफ़ेद कबूतर सुन रहे थे और बीच
बीच मे गूं गूं की आवाज निकाल रहे थे जिससे महादेव को लगा की माता पार्वती उनकी
कथा सुन रही हैं।
दोनों कबूतर कथा सुनते रहे जब कथा समाप्त हुई और
भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती पर गया तो उन्होने देखा की वो तो सो गईं हैं। तब
महादेव की नजर उन दोनों कबूतरों पर पड़ी उनको देखते ही महादेव को उनपर क्रोध आ गया।
कबूतर का जोड़ा उनकी शरण में आ गया और उन्होने बोला-- भगवन्
हमने आपसे अमरकथा सुनी है, यदि आप हमें मार देंगे तो यह कथा
झूठी हो जाएगी, हमें पथ प्रदान करें। इस पर महादेव ने उन्हें
वर दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव व पार्वती के प्रतीक चिह्न में निवास करोगे।
अंतत: कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया और यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गर्इ। इस तरह
इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा।
भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती पर गया तो उन्होने देखा की वो तो सो गईं हैं। तब
महादेव की नजर उन दोनों कबूतरों पर पड़ी उनको देखते ही महादेव को उनपर क्रोध आ गया।
कबूतर का जोड़ा उनकी शरण में आ गया और उन्होने बोला-- भगवन्
हमने आपसे अमरकथा सुनी है, यदि आप हमें मार देंगे तो यह कथा
झूठी हो जाएगी, हमें पथ प्रदान करें। इस पर महादेव ने उन्हें
वर दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव व पार्वती के प्रतीक चिह्न में निवास करोगे।
अंतत: कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया और यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गर्इ। इस तरह
इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा।
आज का श्लोका ज्ञान :
चन्दनं
शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः |
शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः |
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये
शीतला साधुसंगतिः
शीतला साधुसंगतिः
अर्थात् : संसार में चन्दन को शीतल माना जाता है
लेकिन चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होता है | अच्छे मित्रों का
साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है |
लेकिन चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होता है | अच्छे मित्रों का
साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है |
दोस्तों हमरे द्वारा दी गई जानकारी अगर आपको पसंद
आयी है तो हमारे इस विडियो को लाइक जरूर करें, अगर आपके मन मे
हमारे हिन्दू देवी देवताओं से जुड़ा हुआ कोई प्रश्न है तो हमे कमेंट बाक्स में
बताए। हम उस प्रश्न का उत्तर अवश्य देंगे। और ऐसी हीं प्रेरणादायी पौराणिक कहानीयां
सुनने के लिए हमारे इस चैनल को subscribe जरूर करें ध्न्यवाद।
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is Amarnath from Jammu?
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shivling formed in Amarnath?
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the Shiv Khori?
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