Tuesday, 19 September 2017

Navratri 2017 - सप्तमी, अष्टमी, नवमी के दिन होती है माँ के इन स्वरूपों...

               
   
नवरात्रि episode 3



ये
काल चक्र है इस काल चक्र मे मै आप सब का अभिनंदन करता हूँ
, दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं, काल चक्र के पिछले अध्याय मे हमने आपको
नव दुर्गा के
छः स्वरूपों यानि माँ शैलपुत्री, माँ
ब्रह्मचारिणी
, माँ चंद्रघंटा, माँ कूष्माण्डा, स्कंदमाता, और माँ कात्यायनी के बारे में बताया था।
आज इस अगले अध्याय मे हम आपको नव दुर्गा के अन्य स्वरोपों की जानकारी देंगे। मै
आशा करता हूँ की हमारे इस विडियो को पूरा देखने के बाद आप इस चैनल को सुब्स्कृबे
जरूर करेंगे।
माँ
दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें
दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है।
जैसा की नाम से अभिव्यक्त होता है कि मां
दुर्गा की यह सातवीं शक्ति कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला
है। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले
में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली
शक्ति हैं कालरात्रि। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के
दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत
होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव
, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही
भाग जाते हैं। यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि
, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय का
नाश हो जाता है।
माँ
दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है।  इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए
उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा
भी कहा गया है ।
मान्यता है की  पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी
ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न
होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना
या
था। तभी से इनका रूप गौर वर्ण का हो गया और ये महागौरी कहलाईं। यह अमोघ फलदायिनी
हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं।
माँ
दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का
आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।
हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध
तीर्थ है।
इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर
भी आसीन होती हैं। मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर
उपासना करना चाहिए।
माँ का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध
कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।
दोस्तों
आज के इस
episode मे बस इतना ही नव दुर्गा के अन्य सभी
रूपों की जानकारी के लिए हमारा
पिछले अन्य एपिसोड देखना बिलकुल मत भूलिएगा, दोस्तों देवी दुर्गा या नवरात्रों से
जुड़ी कोई भी जानकारी या पर्श्न हो तो आप हमे हमारे कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं हम
उसका जवाब अवश्य देंगे। इस तरह की और भी धार्मिक
videos के लिए हमारे चैनल को सुब्स्कृबे जरूर करें । ध्न्यवाद  

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