episode
2
ये काल चक्र है इस काल चक्र मे मै आप सब का अभिनंदन
करता हूँ, दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं, काल चक्र के
पिछले अध्याय मे हमने आपको नव दुर्गा के तीन स्वरूपों यानि माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, और माँ चंद्रघंटा के बारे में
बताया था। आज इस अगले अध्याय मे हम आपको नव दुर्गा के अन्य स्वरोपों की जानकारी
देंगे। मै आशा करता हूँ की हमारे इस विडियो को पूरा देखने के बाद आप इस चैनल को
सुब्स्कृबे जरूर करेंगे।
करता हूँ, दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं, काल चक्र के
पिछले अध्याय मे हमने आपको नव दुर्गा के तीन स्वरूपों यानि माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, और माँ चंद्रघंटा के बारे में
बताया था। आज इस अगले अध्याय मे हम आपको नव दुर्गा के अन्य स्वरोपों की जानकारी
देंगे। मै आशा करता हूँ की हमारे इस विडियो को पूरा देखने के बाद आप इस चैनल को
सुब्स्कृबे जरूर करेंगे।
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के
स्वरूप की उपासना की जाती है। माना जाता है की माँ ने ही इस समस्त ब्रह्मांड की
रचना की थी और इसीलिए इन्हे कुष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है। इस देवी की
आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में
क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र
तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस
देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े यानि कदु की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को
कुष्मांड कहते हैं। दोस्तों माँ कुष्मांडा की भक्ति से व्यक्ति के सभी रोगों और
शोकों का नाश होता है और उसे आयु यश बल और आरोग्य प्राप्त होता है ।
स्वरूप की उपासना की जाती है। माना जाता है की माँ ने ही इस समस्त ब्रह्मांड की
रचना की थी और इसीलिए इन्हे कुष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है। इस देवी की
आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में
क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र
तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस
देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े यानि कदु की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को
कुष्मांड कहते हैं। दोस्तों माँ कुष्मांडा की भक्ति से व्यक्ति के सभी रोगों और
शोकों का नाश होता है और उसे आयु यश बल और आरोग्य प्राप्त होता है ।
नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का
दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। स्कन्द कुमार यानि
भगवान कार्तकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमता पड़ा। माता के विग्रह मे
भगवान स्कन्द बल स्वरूप मे विराजित होते हैं। स्कन्द माता की चार भुजाएँ हैं, दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे
वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा,
वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। यह कमल के आसन पर विराजमान
रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। मन को एकाग्र रखकर और पवित्र
रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं
आती है और उसकी सभी इक्छए जल्दी ही पूर्ण हो जाती है ।
दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। स्कन्द कुमार यानि
भगवान कार्तकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमता पड़ा। माता के विग्रह मे
भगवान स्कन्द बल स्वरूप मे विराजित होते हैं। स्कन्द माता की चार भुजाएँ हैं, दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे
वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा,
वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। यह कमल के आसन पर विराजमान
रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। मन को एकाग्र रखकर और पवित्र
रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं
आती है और उसकी सभी इक्छए जल्दी ही पूर्ण हो जाती है ।
नवरात्र मे छठे दिन माँ कात्यायनी की पुजा अर्चना
की जाती है। कालांतर मे कात्य गोत्र मे एक बड़े ही महान ऋषि उत्पन्न हुए थे जिंका
नाम था महर्षि कात्यायन उन्होने माँ भगवती की बड़ी कठोर उपासना की, उनकी इक्छा थी की माँ भगवती का जन्म उनकी पुत्री के रूप मे हो। उनकी
तपस्या सफल भी हुई और माता ने महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप
मे जन्म लिया। तभी ने उनको कात्यायनी देवी पुकारा जाने लगा। इनकी उपासना और आराधना से
भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम
और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक,
संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
की जाती है। कालांतर मे कात्य गोत्र मे एक बड़े ही महान ऋषि उत्पन्न हुए थे जिंका
नाम था महर्षि कात्यायन उन्होने माँ भगवती की बड़ी कठोर उपासना की, उनकी इक्छा थी की माँ भगवती का जन्म उनकी पुत्री के रूप मे हो। उनकी
तपस्या सफल भी हुई और माता ने महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप
मे जन्म लिया। तभी ने उनको कात्यायनी देवी पुकारा जाने लगा। इनकी उपासना और आराधना से
भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम
और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक,
संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
दोस्तों आज के इस episode मे
बस इतना ही नव दुर्गा के अन्य सभी रूपों की जानकारी के लिए हमारा अगला एपिसोड
देखना बिलकुल मत भूलिएगा, दोस्तों देवी दुर्गा या नवरात्रों
से जुड़ी कोई भी जानकारी या पर्श्न हो तो आप हमे हमारे कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं
हम उसका जवाब अवश्य देंगे। इस तरह की और भी धार्मिक videos के
लिए हमारे चैनल को सुब्स्कृबे जरूर करें । ध्न्यवाद
बस इतना ही नव दुर्गा के अन्य सभी रूपों की जानकारी के लिए हमारा अगला एपिसोड
देखना बिलकुल मत भूलिएगा, दोस्तों देवी दुर्गा या नवरात्रों
से जुड़ी कोई भी जानकारी या पर्श्न हो तो आप हमे हमारे कमेंट बॉक्स मे बता सकते हैं
हम उसका जवाब अवश्य देंगे। इस तरह की और भी धार्मिक videos के
लिए हमारे चैनल को सुब्स्कृबे जरूर करें । ध्न्यवाद
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That’s wonderful. many things to learn. thanks for sharing Durga Mata Ji Images
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