एकलव्य
का वध श्री कृष्ण ने क्यों किया था | Why did Krishna kill Ekalavya
का वध श्री कृष्ण ने क्यों किया था | Why did Krishna kill Ekalavya
ये काल चक्र है इस काल चक्र मे ऐसे कई सारे पत्र थे
जो हमारे पुरानो वेदो उपनिषदों आदि के पन्नो मे खो गए जिनहे उनकी उचित पहचान नहीं
मिल पाई जिसके वो योग्य थे। आज हम एक एक ऐसे ही पत्र का वर्णन करने जा रहे हैं
जिनकी धनुर्विद्या अर्जुन और कर्ण के समान ही थी उनका नाम है एकलव्य। परंतु
दोस्तों ये वीर एकलव्य कौन था ? इस योद्धा का जिक्र अत्यधिक
क्यूँ नहीं मिलता ? एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई ? किसने मारा था एकलव्य को ?
जो हमारे पुरानो वेदो उपनिषदों आदि के पन्नो मे खो गए जिनहे उनकी उचित पहचान नहीं
मिल पाई जिसके वो योग्य थे। आज हम एक एक ऐसे ही पत्र का वर्णन करने जा रहे हैं
जिनकी धनुर्विद्या अर्जुन और कर्ण के समान ही थी उनका नाम है एकलव्य। परंतु
दोस्तों ये वीर एकलव्य कौन था ? इस योद्धा का जिक्र अत्यधिक
क्यूँ नहीं मिलता ? एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई ? किसने मारा था एकलव्य को ?
एकलव्य, निषादराज
हिरण्यधनु और रानी सुलेखा का पुत्र था, जिसका नाम “अभिद्युम्न” रखा गया था। प्राय: लोग उसे “अभय” नाम से बुलाते थे। पाँच वर्ष की आयु मेँ एकलव्य
की शिक्षा की व्यवस्था कुलीय गुरूकुल मेँ की गई थी ।
हिरण्यधनु और रानी सुलेखा का पुत्र था, जिसका नाम “अभिद्युम्न” रखा गया था। प्राय: लोग उसे “अभय” नाम से बुलाते थे। पाँच वर्ष की आयु मेँ एकलव्य
की शिक्षा की व्यवस्था कुलीय गुरूकुल मेँ की गई थी ।
बालपन से ही अस्त्र शस्त्र विद्या मेँ बालक की लगन
और एकनिष्ठता को देखते हुए उसके गुरू ने बालक का नाम “एकलव्य” संबोधित किया था । एकलव्य धनुर्विद्या की
उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था। उस समय धनुर्विद्या मेँ गुरू द्रोण की ख्याति
थी। परंतु गुरु द्रोण केवल ब्राह्मण तथा क्षत्रिय वर्ग को ही शिक्षा देते थे और
शूद्रोँ को शिक्षा देने के कट्टर विरोधी थे।उसके पिता महाराज हिरण्यधनु ने एकलव्य
को काफी समझाया कि द्रोण तुम्हे शिक्षा नहीँ देँगे। पर एकलव्य ने पिता को मनाया कि
उसकी शस्त्र विद्या से प्रभावित होकर
आचार्य द्रोण स्वयं उसे अपना शिष्य बना लेँगे। पर एकलव्य का सोचना सही न था –
द्रोण ने उसे शिक्षा देने से साफ इंकार कर दिया ।
और एकनिष्ठता को देखते हुए उसके गुरू ने बालक का नाम “एकलव्य” संबोधित किया था । एकलव्य धनुर्विद्या की
उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था। उस समय धनुर्विद्या मेँ गुरू द्रोण की ख्याति
थी। परंतु गुरु द्रोण केवल ब्राह्मण तथा क्षत्रिय वर्ग को ही शिक्षा देते थे और
शूद्रोँ को शिक्षा देने के कट्टर विरोधी थे।उसके पिता महाराज हिरण्यधनु ने एकलव्य
को काफी समझाया कि द्रोण तुम्हे शिक्षा नहीँ देँगे। पर एकलव्य ने पिता को मनाया कि
उसकी शस्त्र विद्या से प्रभावित होकर
आचार्य द्रोण स्वयं उसे अपना शिष्य बना लेँगे। पर एकलव्य का सोचना सही न था –
द्रोण ने उसे शिक्षा देने से साफ इंकार कर दिया ।
एकलव्य हार मनाने वालों में से नहीं था, बिना शस्त्र विद्या सीखे वह घर वापिस जाना नहीं चाहता था इसी कारण उसने वन
में जाकर आचार्या द्रोण की प्रतिमा बनाई और धनुर्विद्या का अभ्यास आरंभ कर दीया।
धीरे धीरे उस अभ्यास से वो ध्नुर्विद्या में निपुण होता चला गया। एक दिन अभ्यास के
दौरान एक कुत्ता वहाँ आ कर भौकने लगा जिससे एकलव्य की एकाग्रता बार बार भंग हो जा
रही थी। उसने उसी वक़्त उस कुत्ते के ऊपर एक ऐसे बाण से प्रहार किया जिससे उस
कुत्ते का मुह भी बंद हो गया और उसे किसी प्रकार की कोई क्षति भी नहीं पहुंची।
में जाकर आचार्या द्रोण की प्रतिमा बनाई और धनुर्विद्या का अभ्यास आरंभ कर दीया।
धीरे धीरे उस अभ्यास से वो ध्नुर्विद्या में निपुण होता चला गया। एक दिन अभ्यास के
दौरान एक कुत्ता वहाँ आ कर भौकने लगा जिससे एकलव्य की एकाग्रता बार बार भंग हो जा
रही थी। उसने उसी वक़्त उस कुत्ते के ऊपर एक ऐसे बाण से प्रहार किया जिससे उस
कुत्ते का मुह भी बंद हो गया और उसे किसी प्रकार की कोई क्षति भी नहीं पहुंची।
वह कुत्ता गुरु द्रोण का था जब गुरु द्रोण ने उस
कुत्ते की ये अवस्था देखि तब वो समझ गए की ये किसी बहुत ही श्रेस्ठ धनुर्धर का कम
है। वे उस महान धुनर्धर की खोज मेँ लग गए अचानक उन्हे एकलव्य दिखाई दिया जिस
धनुर्विद्या को वे केवल क्षत्रिय और ब्राह्मणोँ तक सीमित रखना चाहते थे उसे
शूद्रोँ के हाथोँ मेँ जाता देख उन्हेँ चिँता होने लगी। तभी उन्हे अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ
धनुर्धर बनाने के वचन की याद आयी। द्रोण
ने एकलव्य से पूछा- तुमने यह धनुर्विद्या किससे सीखी? एकलव्य- आपसे आचार्य! एकलव्य ने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर
इशारा किया। द्रोण ने एकलव्य से गुरू दक्षिणा मेँ एकलव्य के दाएँ हाथ का अगूंठा
मांगा एकलव्य ने अपना अगूंठा काट कर गुरु द्रोण को अर्पित कर दिया।
कुत्ते की ये अवस्था देखि तब वो समझ गए की ये किसी बहुत ही श्रेस्ठ धनुर्धर का कम
है। वे उस महान धुनर्धर की खोज मेँ लग गए अचानक उन्हे एकलव्य दिखाई दिया जिस
धनुर्विद्या को वे केवल क्षत्रिय और ब्राह्मणोँ तक सीमित रखना चाहते थे उसे
शूद्रोँ के हाथोँ मेँ जाता देख उन्हेँ चिँता होने लगी। तभी उन्हे अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ
धनुर्धर बनाने के वचन की याद आयी। द्रोण
ने एकलव्य से पूछा- तुमने यह धनुर्विद्या किससे सीखी? एकलव्य- आपसे आचार्य! एकलव्य ने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर
इशारा किया। द्रोण ने एकलव्य से गुरू दक्षिणा मेँ एकलव्य के दाएँ हाथ का अगूंठा
मांगा एकलव्य ने अपना अगूंठा काट कर गुरु द्रोण को अर्पित कर दिया।
लेकिन बाद में एकलव्य बिना अंगूठे के भी अपनी साधना
पूर्ण कौसल से धनुर्विद्या मे पुनः दक्षता
हंसिल कर लेता है। आज के युग मेँ आयोजित होने वाली सभी तीरंदाजी प्रतियोगिताओँ मेँ
अंगूठे का प्रयोग नहीँ होता है, अत: एकलव्य को आधुनिक
तीरंदाजी का जनक कहना उचित होगा।
पूर्ण कौसल से धनुर्विद्या मे पुनः दक्षता
हंसिल कर लेता है। आज के युग मेँ आयोजित होने वाली सभी तीरंदाजी प्रतियोगिताओँ मेँ
अंगूठे का प्रयोग नहीँ होता है, अत: एकलव्य को आधुनिक
तीरंदाजी का जनक कहना उचित होगा।
एक बार वह जब जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर
आक्रमण करता है तो अपने बाणों से यादव सेना को तहस नहस करने लगता है तब यदुवंसियों
को बचाने के लिए भगवान शिरी कृष्ण अपने सुदरसन चक्र से एकलव्य का वध कर देते हैं ।
दोस्तों एकलव्य का एक बड़ा हि वीर पुत्र था केतुमन इसी योद्धा की कहानी हम अपने
किसी और एपिसोड में बताएँगे।
आक्रमण करता है तो अपने बाणों से यादव सेना को तहस नहस करने लगता है तब यदुवंसियों
को बचाने के लिए भगवान शिरी कृष्ण अपने सुदरसन चक्र से एकलव्य का वध कर देते हैं ।
दोस्तों एकलव्य का एक बड़ा हि वीर पुत्र था केतुमन इसी योद्धा की कहानी हम अपने
किसी और एपिसोड में बताएँगे।
दोस्तों एकलव्य के जीवन की ये प्रेरणादायी कहानी
अगर आपको पसंद आयी है तो हमारे इस विडियो को लाइक जरूर करें, अगर आपके पास हमारे हिन्दू देवी देवताओं से जुड़ा हुआ कोई प्रश्न है तो
हमे कमेंट बाक्स में बताए। हम उस प्रश्न का जवाब अवश्य देंगे । और
ऐसी हीं प्रेरणादायी पौराणिक कहानी सुनने
के लिए हमारे इस चैनल को subscribe
जरूर करें ध्न्यवाद ।
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how eklavya was born, how eklavya was killed, how guru
dronacharya was born, how jarasandh was born, how sage shringi was born, who
wrote the first ramayana, did lord hanuman married, what are the nine avatars
of durga, love story of karna and draupadi, love story of radha and krishna,
did lord ram had a sister named shanta, how ajun got gandiv dhanush, how karna
got vijay dhanush, is ramayana real or fake Big Magic Entertainment (TV Genre) Eklavya
Episode
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