Saturday, 30 June 2018

रावण पुत्र इंद्रजीत और सूर्य पुत्र कर्ण के बीच युद्ध में कौन विजयी होता ...



        कर्ण और इंद्रजीत युद्ध
महाभारत और रामायण में
सम्पूर्ण भारत समाया है
| हमारा दर्द, हमारी खुशी, हमारी इच्छा, हमारा लालच, हमारा धर्म, हमारी ज़िम्मेदारी, मर्यादा का पालन, अपितु सम्पूर्ण गीताज्ञान ज्ञान ही इसमें सम्मिलित है| दोनों महाकाव्य हैं, और भारत के साहित्य की बुनियाद हीं नहीं बल्कि हमारे जीवन
यापन की बुनियाद हैं
| धर्म की
सीमा से परे रामायण और महाभारत प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है
| दोस्तों हमने अपने पिछले अध्याय मे रामायण और महाभारत के
दो महान पत्रों की तुलना की थी और इसी क्रम को आगे बढ़ते हुए आज एक बार फिर दोनों
ही महाकाव्यों मे से हम दो ऐसे योद्धाओं को लेकर आए हैं जो अपने आप मे अतुलनिए
हैं... पहला नाम है रावण का महाप्रतापी पुत्र इंद्रजीत और दूसरा है सूर्यपुत्र
कर्ण।
ये काल चक्र है...
एक तरफ है कर्ण जिनकी की छवि
आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों
से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला
जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के
सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और
युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था
, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही।
और दूसरी तरफ हैं इंद्रजीत या
मेगनाथ – जब रावण को एक पुत्र की चाहत थी
, जो दुनिया का सबसे अच्छा पुत्र साबित हो. उसने अपने ज्ञान से सारे ग्रहों
को ऐसे स्थान पर बैठाया जिससे उसे एक सपूत की प्राप्ति हो और वो शक्ति और ऐश्वर्य
का धनी हो. रावण की चाहत पूरी हुई और मेघनाथ पैदा हुआ. जब रावण का पुत्र पैदा हुआ
तो उसके रोने की आवाज़़ बिजली के कड़कने जैसी थी. इस आवाज़ के कारण ही रावण ने
अपने बेटे का नाम मेघनाथ रखा
, जिसका मतलब होता है बिजली.
आइए दोनों हीं योद्धाओं की
विशेषताओं पर नजर डालते हैं और ये समझने का प्रयास करते हैं की इन दोनों मे कोण
अधिक श्रेष्ठ था। 

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