ग्राह -- गजराज
हमारे धर्म ग्रन्थों मेँ
भगवान विष्णु को पालनहारका दर्जा दिया गया है। जैसे एक माँ के लिये उसके सारे बच्चे एक से हैं वैसे ही
प्रभु विष्णु के लिये भी हर प्राणी, जीव, जंतु, अश्व, गंधर्व, किन्नर एक से है। आज हम आपको गज और ग्राह की वो कथा सुनाते है जिनके लिए
स्वयं भगवान विष्णु को धरती पर जन्म लेना पड़ा था ।
पुराणों
के अनुसार भगवान विष्णु के दो भक्त जय और विजय श्राप
पाकर गज और ग्राह के
रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे। गंडक नदी में एक दिन कोनहारा के तट पर जब गज पानी
पीने आया था तो ग्राह ने उसे पकड़ लिया, और उन
दोनों के बीच युद्ध आरंभ होगया, जब गज ग्राह से छुटकारा पाने
मे असमर्थ हो गया तब गज ने बड़े ही मार्मिक भाव से भगवान विष्णु को याद किया।
के अनुसार भगवान विष्णु के दो भक्त जय और विजय श्राप
पाकर गज और ग्राह के
रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे। गंडक नदी में एक दिन कोनहारा के तट पर जब गज पानी
पीने आया था तो ग्राह ने उसे पकड़ लिया, और उन
दोनों के बीच युद्ध आरंभ होगया, जब गज ग्राह से छुटकारा पाने
मे असमर्थ हो गया तब गज ने बड़े ही मार्मिक भाव से भगवान विष्णु को याद किया।
गज
की प्रार्थना सुनकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान ने चौदहवी
बार इस धरती पर अवतार
लिया और अपने सुदर्शन
चक्र से गजराज को ग्राह से मुक्त किया और उसकी की जान बचाई।
की प्रार्थना सुनकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान ने चौदहवी
बार इस धरती पर अवतार
लिया और अपने सुदर्शन
चक्र से गजराज को ग्राह से मुक्त किया और उसकी की जान बचाई।
बिहार राज्य के सोनुपुर मे हर साल कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन
पहले शुरू होता है एक पशु मेला, इस मेले में लाखों देसी और विदेशी
पर्यटक पहुंचते हैं. यह मेला आज एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के रूप में विख्यात
है। मान्यता है की यही पे कोंहर घाट पे ग्राह और गज के बीच युद्ध
हुआ था ।
पहले शुरू होता है एक पशु मेला, इस मेले में लाखों देसी और विदेशी
पर्यटक पहुंचते हैं. यह मेला आज एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के रूप में विख्यात
है। मान्यता है की यही पे कोंहर घाट पे ग्राह और गज के बीच युद्ध
हुआ था ।
श्लोका :
• अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां
तु वसुधैव कुटुंबकम्
तु वसुधैव कुटुंबकम्
अर्थात ;
यह मेरा है ,यह उसका है ;
ऐसी सोच संकुचित चित्त वोले व्यक्तियों की होती है;इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार
जैसी होती है |
ऐसी सोच संकुचित चित्त वोले व्यक्तियों की होती है;इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती ही एक परिवार
जैसी होती है |
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