पुष्कर मंदिर कि कहानी
इस सृष्टि कि रचना
परमपिता ब्रह्मा जी ने की है यह तो हम सभी जानते ही हैं । परंतु क्या आपको पता है
एक बार ब्रह्मा जी से भी भारी भूल हो गई थी एक ऐसी
भूल जिससे उनकी पत्नी न सिर्फ उनसे रूठ गईं बल्कि एक ऐसा श्राप दे दिया जिससे आज सृष्टि
की रचना करने वाले की पुजा सिर्फ पुस्कर मे ही होती है । आइये जानते हैं ऐसा क्या
हुआ था जिससे ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री उनसे इस कदर नाराज जो गईं थीं ।
परमपिता ब्रह्मा जी ने की है यह तो हम सभी जानते ही हैं । परंतु क्या आपको पता है
एक बार ब्रह्मा जी से भी भारी भूल हो गई थी एक ऐसी
भूल जिससे उनकी पत्नी न सिर्फ उनसे रूठ गईं बल्कि एक ऐसा श्राप दे दिया जिससे आज सृष्टि
की रचना करने वाले की पुजा सिर्फ पुस्कर मे ही होती है । आइये जानते हैं ऐसा क्या
हुआ था जिससे ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री उनसे इस कदर नाराज जो गईं थीं ।
पद्मपूराण के अनुसार जब एक बार धरती पर व्रजनाश
नामक राक्षस का उत्पात बहुत बढ़ गया था और तब उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकार
ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया था किन्तु वध करते समय ब्रह्मा जी के हाथ से तीन
पुष्प भूमि पर गिर गए जिससे तीन झीलों की उत्पत्ति हो गई। इसी घटना के बाद इस स्थल
का नाम पुस्कर पड़ा।
नामक राक्षस का उत्पात बहुत बढ़ गया था और तब उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकार
ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया था किन्तु वध करते समय ब्रह्मा जी के हाथ से तीन
पुष्प भूमि पर गिर गए जिससे तीन झीलों की उत्पत्ति हो गई। इसी घटना के बाद इस स्थल
का नाम पुस्कर पड़ा।
ब्रह्मा जी ने संसार की भलाई के लिए इस स्थल पर एक
यज्ञ करने का फैसला किया, उनके इस यज्ञ मे पत्नी का बैठना
जरूरी था लेकिन उनकी पत्नी देवी सावित्री को किसी कारण वस वहाँ पहुँच ने मे विलंभ
हो गया इधर पुजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था सभी देवी देवता वह पहुँचते गए
परंतु देवी सावित्री का कोई आता पता नहीं था इसपर ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की
एक कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस
यज्ञ को शुरू किया। उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो
गईं। उन्होने ब्रह्म जी को ये श्राप दे दिया की देवता होने के बावजूद उनकी कभी
पुजा नहीं की जाएगी । वहाँ आए सभी देवताओं ने उनसे विनती की कि अपना श्राप वापिस
ले लीजिये देवी । पर वो नहीं मनी । कुछ समय पश्चात जब उनका क्रोध कुछ शांत हुआ तब
उन्होने कहा कि इस संसार मे पुस्कर ही एक ऐसा स्थान माना जाएगा जहां ब्रह्मा जी कि
पुजा होगी इसके अलावा जो कोई भी ब्रह्मा जी का मंदिर बनाने कि कोशिश करेगा उसका
विनाश हो जाएगा ।
यज्ञ करने का फैसला किया, उनके इस यज्ञ मे पत्नी का बैठना
जरूरी था लेकिन उनकी पत्नी देवी सावित्री को किसी कारण वस वहाँ पहुँच ने मे विलंभ
हो गया इधर पुजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था सभी देवी देवता वह पहुँचते गए
परंतु देवी सावित्री का कोई आता पता नहीं था इसपर ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की
एक कन्या 'गायत्री' से विवाह कर इस
यज्ञ को शुरू किया। उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो
गईं। उन्होने ब्रह्म जी को ये श्राप दे दिया की देवता होने के बावजूद उनकी कभी
पुजा नहीं की जाएगी । वहाँ आए सभी देवताओं ने उनसे विनती की कि अपना श्राप वापिस
ले लीजिये देवी । पर वो नहीं मनी । कुछ समय पश्चात जब उनका क्रोध कुछ शांत हुआ तब
उन्होने कहा कि इस संसार मे पुस्कर ही एक ऐसा स्थान माना जाएगा जहां ब्रह्मा जी कि
पुजा होगी इसके अलावा जो कोई भी ब्रह्मा जी का मंदिर बनाने कि कोशिश करेगा उसका
विनाश हो जाएगा ।
पुष्कर
में जितनी अहमियत ब्रह्मा की है, उतनी
ही देवी
सावित्री की भी है. सावित्री को सौभाग्य की देवी माना जाता है। यह मान्यता है कि यहां पूजा करने से सुहाग की
लंबी उम्र होती है। यही वजह है कि महिलाएं यहां आकर प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां चढ़ाती हैं और देवी
सावित्री से पति की लंबी उम्र कमना
करतीं हैं।
में जितनी अहमियत ब्रह्मा की है, उतनी
ही देवी
सावित्री की भी है. सावित्री को सौभाग्य की देवी माना जाता है। यह मान्यता है कि यहां पूजा करने से सुहाग की
लंबी उम्र होती है। यही वजह है कि महिलाएं यहां आकर प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां चढ़ाती हैं और देवी
सावित्री से पति की लंबी उम्र कमना
करतीं हैं।
आज का श्लोका ज्ञान :
क्रोधाद्भवति
संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद्
बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति
बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति
अर्थात : क्रोध से मूढ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में
भ्रम हो जाने से बुध्दि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुध्दि का नाश हो
जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है।
भ्रम हो जाने से बुध्दि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुध्दि का नाश हो
जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है।
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