गणेश का मस्तक
काल चक्र मे मै आप सब का अभिनंदन करता हूँ, ये तो हम सभी जानते हि है की भगवान गणेश को इंसान के शरीर और गज के सिर
वाले स्वरूप मे पुजा जाता है । आज इस विडियो मे हम ये जानेंगे की भगवान गणेश का
असल मस्तक कहाँ है ?
वाले स्वरूप मे पुजा जाता है । आज इस विडियो मे हम ये जानेंगे की भगवान गणेश का
असल मस्तक कहाँ है ?
एक बार जब माता पार्वती मानसरोवर मे स्नान के लिए
गईं तब उन्होने गणेश जी को वहाँ देवरपाल के रूप मे खड़ा कर दिया और उन्हे ये आज्ञा
दे दिया की कोई भी अंदर न आने पाये ।
गईं तब उन्होने गणेश जी को वहाँ देवरपाल के रूप मे खड़ा कर दिया और उन्हे ये आज्ञा
दे दिया की कोई भी अंदर न आने पाये ।
तभी वहाँ भगवान शिव आ गए और अंदर जाने लगे परंतु
गणेश जी ने उनसे अंदर न जाने का अनुरोध किया, शिव जी ने भगवान
गणेश का अनुरोध सुविकर नहीं किया इसपर दोनों के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया अंत
मे भगवान शिव ने अत्यधिक क्रोध मे आ कर अपने त्रिसुल के प्रहार से भगवान गणेश का
मस्तक काट दिया। जो चन्द्र लोक मे चला गया ।
गणेश जी ने उनसे अंदर न जाने का अनुरोध किया, शिव जी ने भगवान
गणेश का अनुरोध सुविकर नहीं किया इसपर दोनों के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया अंत
मे भगवान शिव ने अत्यधिक क्रोध मे आ कर अपने त्रिसुल के प्रहार से भगवान गणेश का
मस्तक काट दिया। जो चन्द्र लोक मे चला गया ।
जब माता पार्वती को इस बात की जानकारी मिली तो वो
विलाप करने लगीं और भगवान शिव से रुष्ट हो गईं। तब भगवान शिव ने रुष्ट पार्वती को
मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।
विलाप करने लगीं और भगवान शिव से रुष्ट हो गईं। तब भगवान शिव ने रुष्ट पार्वती को
मनाने के लिए कटे मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।
ऐसी
मान्यता है कि श्रीगणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से हम सभी संकट चतुर्थी तिथि के
दिन चन्द्रदर्शन व
अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना और भक्ति द्वारा संकटनाश और
मंगलकामना करते हैं
।
मान्यता है कि श्रीगणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से हम सभी संकट चतुर्थी तिथि के
दिन चन्द्रदर्शन व
अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना और भक्ति द्वारा संकटनाश और
मंगलकामना करते हैं
।
आज का श्लोका ज्ञान :
सत्यं
माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।
माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा।
शान्ति:
पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:
पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:
अर्थात : सत्य मेरी माता है, ज्ञान मेरा पिता है, धर्म मेरा भाई है, दया मेरी मित्र है, शांति मेरी पत्नी है, क्षमा मेरा पुत्र है। यह छः मेरे सम्बन्धी हैं॥
No comments:
Post a Comment