हिन्दू पौराणिक कथाओं मे बहुत सी प्रेरणादायी और
अद्भुत कहानियाँ मिलतीं हैं। महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों मे ऐसी कई सारी
कहानियाँ मिलतीं हैं जो वास्तव मे आश्चर्यजनक हैं । ऐसी ही एक कहानी है जो महाभारत
काल मे घटित हुई थी जो प्यार, जुनून,
ईर्ष्या और जुदाई से भरी हुई है । ये कहानी है धरती पर रहने वाले एक मनुष्य राजा
पुरुरवा और स्वर्ग मे रहने वाली एक अप्सरा उर्वशी की ।
अद्भुत कहानियाँ मिलतीं हैं। महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों मे ऐसी कई सारी
कहानियाँ मिलतीं हैं जो वास्तव मे आश्चर्यजनक हैं । ऐसी ही एक कहानी है जो महाभारत
काल मे घटित हुई थी जो प्यार, जुनून,
ईर्ष्या और जुदाई से भरी हुई है । ये कहानी है धरती पर रहने वाले एक मनुष्य राजा
पुरुरवा और स्वर्ग मे रहने वाली एक अप्सरा उर्वशी की ।
ये काल चक्र है इस काल चक्र मे आप सबका अभिनंदन
करता हूँ आइए सुनते हैं ये अद्भुत प्रेम कहानी ।
करता हूँ आइए सुनते हैं ये अद्भुत प्रेम कहानी ।
चंद्रवंश के पहले राजा पुरुरवा जो बुध और इला के
पुत्र थे। राजा पुरुरवा एक बहुत ही पराक्रमी योद्धा थे। देवराज इंद्रा और असुरो के
बीच युद्ध के दौरान इंद्रा के आह्वान पे कई बार राजा पुरुरवा इंद्रा की मदद के लिए
गए । एक बार जब उर्वशी स्वर्ग मे इंद्रा के दरबार मे ऊब गईं थीं तो कुछ अलग करने
के लिए वो पृथ्वी पे उतार आयीं। उन्हे स्वर्ग के राजसी जीवन के बजाय पृथ्वी के सुख
दुख उतार चढ़ाओ भरा जीवन ज्यदा अच्छा लगा । जब वो पृथ्वी से वापिस स्वर्ग की तरफ
लौट रही थीं उसी समय एक असुर ने उन्हे पकड़ लिया। तभी राजा पुरुरवा ने उस असुर को
उर्वशी को पकड़ते हुए देख लिया । अगले ही पल राजा पुरुरवा ने अपने तलवार से उस असुर
का वध कर के उर्वशी को मुक्त कराया । इसी दौरान राजा पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी का
शरीर एक दूसरे से स्पश्र्श हो गया, पहली बार उर्वशी
को किसी नश्वर मनुष्य ने छुआ था इस स्पर्श ने उर्वशी का मन मोह लिया और उर्वशी की
सुंदरता देख राजा भी उर्वशी पे आकर्षित हो गए। परंतु उस समय उर्वशी को वापिस
स्वर्ग लौटना पड़ा। इंद्रा देव के आदेश पर ऋषि भारत ने एक नाटक का आयोजन किया जिसमे
उर्वशी देवी लक्ष्मी की भूमिका मे थीं और उन्हे अपने पति श्री हरी विष्णु का नाम
लेना था लेकिन वह पुरुरवा के ख्यालों मे खोई थी और भगवान विष्णु के नाम की जगह
पुरुरवा का नाम ले लिया। इसे ऋषि भरत क्रोधित हो गए और उर्वशी को श्राप देते हुए
कहा तुम एक नश्वर मनुष्य के प्रेम मे अपना सुध बुध खो बैठी हो इस लिए तुम्हें
पृथ्वी पे जा कर उसके साथ ही रहना होगा।
पुत्र थे। राजा पुरुरवा एक बहुत ही पराक्रमी योद्धा थे। देवराज इंद्रा और असुरो के
बीच युद्ध के दौरान इंद्रा के आह्वान पे कई बार राजा पुरुरवा इंद्रा की मदद के लिए
गए । एक बार जब उर्वशी स्वर्ग मे इंद्रा के दरबार मे ऊब गईं थीं तो कुछ अलग करने
के लिए वो पृथ्वी पे उतार आयीं। उन्हे स्वर्ग के राजसी जीवन के बजाय पृथ्वी के सुख
दुख उतार चढ़ाओ भरा जीवन ज्यदा अच्छा लगा । जब वो पृथ्वी से वापिस स्वर्ग की तरफ
लौट रही थीं उसी समय एक असुर ने उन्हे पकड़ लिया। तभी राजा पुरुरवा ने उस असुर को
उर्वशी को पकड़ते हुए देख लिया । अगले ही पल राजा पुरुरवा ने अपने तलवार से उस असुर
का वध कर के उर्वशी को मुक्त कराया । इसी दौरान राजा पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी का
शरीर एक दूसरे से स्पश्र्श हो गया, पहली बार उर्वशी
को किसी नश्वर मनुष्य ने छुआ था इस स्पर्श ने उर्वशी का मन मोह लिया और उर्वशी की
सुंदरता देख राजा भी उर्वशी पे आकर्षित हो गए। परंतु उस समय उर्वशी को वापिस
स्वर्ग लौटना पड़ा। इंद्रा देव के आदेश पर ऋषि भारत ने एक नाटक का आयोजन किया जिसमे
उर्वशी देवी लक्ष्मी की भूमिका मे थीं और उन्हे अपने पति श्री हरी विष्णु का नाम
लेना था लेकिन वह पुरुरवा के ख्यालों मे खोई थी और भगवान विष्णु के नाम की जगह
पुरुरवा का नाम ले लिया। इसे ऋषि भरत क्रोधित हो गए और उर्वशी को श्राप देते हुए
कहा तुम एक नश्वर मनुष्य के प्रेम मे अपना सुध बुध खो बैठी हो इस लिए तुम्हें
पृथ्वी पे जा कर उसके साथ ही रहना होगा।
उर्वशी पृथ्वी पे आ गईं उन्हे स्वर्ग छोड़ने का दुख
था परंतु पुरुरवा को पाने का हर्ष भी था । उर्वशी ने पुरुरवा को अपने पति के रूप
मे सुविकर कर लिया पर उनके सामने एक शर्त राखी की तुम मुझे कभी नग्न अवशथा मे नहीं
देखोगे अगर ऐसा हुआ तो मई वापिस स्वर्ग लौट जाऊँगी । पुरुरवा ने उसकी शर्त मान ली।
और शर्त के अनुसार रात के अंधेरे मे ही पुरुरवा उर्वशी संभोग करते थे । दूसरी तरफ
इन दोनों के प्रेम को देख देवता ईर्ष्या से भर गए थे क्यूंकी उर्वशी स्वर्ग की
सबसे सुंदर अप्सरा थी और उसके बिना स्वर्ग सुना सा हो गया था । एक दिन देवताओं ने
एक साजिश रची, रात के अंधरे संभोग के दौरान जब दोनों नग्न
अवस्था मे थे तभी देवताओं द्वारा आकाश मे बहुत ज़ोर की बिजली चमकी और वह कुछ समय के
लिए प्रकाश हो गया और पुरुरवा ने उर्वशी को नग्न अवस्था मे देख लिया जिससे उर्वशी
की शर्त टूट गई और उर्वशी को वापिस स्वर्ग जाना पड़ा।
था परंतु पुरुरवा को पाने का हर्ष भी था । उर्वशी ने पुरुरवा को अपने पति के रूप
मे सुविकर कर लिया पर उनके सामने एक शर्त राखी की तुम मुझे कभी नग्न अवशथा मे नहीं
देखोगे अगर ऐसा हुआ तो मई वापिस स्वर्ग लौट जाऊँगी । पुरुरवा ने उसकी शर्त मान ली।
और शर्त के अनुसार रात के अंधेरे मे ही पुरुरवा उर्वशी संभोग करते थे । दूसरी तरफ
इन दोनों के प्रेम को देख देवता ईर्ष्या से भर गए थे क्यूंकी उर्वशी स्वर्ग की
सबसे सुंदर अप्सरा थी और उसके बिना स्वर्ग सुना सा हो गया था । एक दिन देवताओं ने
एक साजिश रची, रात के अंधरे संभोग के दौरान जब दोनों नग्न
अवस्था मे थे तभी देवताओं द्वारा आकाश मे बहुत ज़ोर की बिजली चमकी और वह कुछ समय के
लिए प्रकाश हो गया और पुरुरवा ने उर्वशी को नग्न अवस्था मे देख लिया जिससे उर्वशी
की शर्त टूट गई और उर्वशी को वापिस स्वर्ग जाना पड़ा।
और इस प्रकार एक सच्चे प्रेमी को अपनी प्रेमिका से
जुदा होना पड़ा ।
जुदा होना पड़ा ।
जब स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी ने रखा उसे नग्न न
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